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Saturday, December 6, 2014

बाबा साहेब डा० भीमराव अम्बेडकर के ५८ वें परिनिर्वाण दिवस पर उनके कुछ विचार :

आज जब दलित आंदोलन कमजोर स्तिथि में है, अम्बेडकर के विचारों कि सबसे ज्यादा प्रासंगिकता है और उनके नाम पर अवसरवादी राजनीति करने वालों का पर्दाफास हो चूका है, तब हमें उनके विचारों को फिर से संघर्षों द्वारा स्थापित करने कि जरुरत है न कि आरएसएस-भाजपा,अवसरवादी राजनीतिक पार्टियों व अन्य दलित ब्राम्हणवादियों-पूंजीपतियों द्वारा दिवस मानाने की है |आज भी रिपब्लिकन पैंथर और कबीर कला मंच जैसे संगठनों से दलित आंदोलन व आंबेडकर के सपनों की उम्मीद बची हुयी है । इसी कड़ी में .......

कबीर कला मंच के सांस्कृतिक कलाकार

" इस देश के दो दुश्मनो से कामगारों को निपटना होगा यह ब्राम्हणवाद और पूंजीवाद हैं | "

" ब्राम्हणवाद से आशय स्वतंत्रता ,समता व भाईचारे की भवना के निषेध से है | ब्राम्हण इसके जनक है लेकिन यह सभी जातियों में घुसी हुयी है | "

" जाति एक बंद वर्ग है, बिना सामाजिक क्रांति के आर्थिक क्रांति नहीं हो सकती " -(जातियों का उन्मूलन से ....)

" अगर संविधान का पालन नहीं हुआ तो मै पहला व्यक्ति होऊंगा इसे बीच चौराहे पर जलाने वाला | "

" हर नई पीढ़ी के लिए नए संविधान की जरुरत होती है | "

" आरक्षण कुछ वर्षों में खत्म कर देना होगा | "

" हमारे पढ़े-लिखे लोगों ने हमें धोखा दिया | "

" पहला कदम उन्हें जमीन दिलवाना,गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलवाना होगा और स्वास्थ सेवाएं मुहैया करवाना होगा, दूसरा संघर्ष में आस्था की वैचारिकता बहाली का होगा और तीसरा अन्य जातियों के साथ वर्गीय एकजुटता कायम करना होगा | " - (मुक्ति कौन पथे लेख से ....)

" हर जाति एक राष्ट्र है | "

" यह मान कर अपने आपको भुलावा दे रहें है कि हम एक राष्ट्र है जब हम हजारों जातियों में विभाजित है तो एक राष्ट्र कैसे हो सकते है ,जाति राष्ट्र विरोधी है | "

" आप बेहतर सडकों ,रेलवें ,सिचाई कि नहरों ,स्थाई प्रशासन देने और अंदरुनी शांति कायम करने के लिए बैठकर अंग्रेजी नौकरशाही कि तारीफ के पुल नहीं बांधते नहीं रह सकते | मै इस बात पर सहमत होने वाला पहला व्यक्ति होऊंगा कि अंग्रेजों कि तारीफ फ़ौरन दूर हो जाएगी अगर हम जमींदारों और पूंजीपतियों द्वारा इस देश के गरीबों और आम जनता से मुनाफे कि जबरन वशूली को देखे | "



  • इसी से सम्बंधित कुछ अन्य विचार :



" अम्बेडकर के तथाकथित शिष्य ही जाति उन्मूलन के उनके इस सपने को दफ़नाने में सबसे आगे रहे जिन्होंने अपने-अपने पहचान के झंडे को उनकी कब्र पर गाड़ दिए है | " - आनंद तेलतुम्बडे 

" अछूतों ! उठो सोये हुए शेरों तुम्ही देश के असली सर्वहारा हो ,तुम्हे ही क्रांति करनी है लेकिन नौकरशाही से दूर रहना | " -भगत सिंह (अछूत समस्या लेख से ....)

भगत सिंह  

" बलिस्थान में जब तक शूद्र ,अतिशूद्र, भील , कोली आदि शिक्षित होकर एक नहीं होते तब तक वे एक राष्ट्र नहीं बन सकते | " - फूले  

ज्योतिबा फुले

" बथानी नरसंहार व अन्य पर संविधान को देखे तो अभी तक का अनुभव कहता यह नई मनुस्मृति साबित हुआ है , नई मनुस्मृति को जला दो ! " - रिपब्लिकन पैंथर

सुधीर धावले (विद्रोही पत्रिका के संपादक व रिपब्लिकन पैंथर पार्टी के संस्थापक)


" इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि राजसत्ता में भागीदारी कि रणनीति से दलितों को उल्लेखनीय फायदे हुए शिक्षा,रोजगार और राजनीति में आरक्षण के चलते बहुत से दलित ऐसे पदों पर पहुंच चुके है जहां वे पहुचने कि सोच भी नहीं सकते थे लेकिन इन उपलब्धियों के साथ हमेशा समझौता जुड़ा हुआ था | " - आनंद तेलतुम्बडे

आनंद तेलतुम्बडे  (डॉ  आंबेडकर के सम्बन्धी  , सामाजिक कार्यकर्ता  व  दलित विचारक )

" इस सच्चाई को नाकारा नहीं जा सकता कि इस प्रक्रिया से दलित राजनीतिक रूप से शक्तिहीन हुए और उनमें लाभार्थियों के ऐसे अलग वर्ग का उदय हुआ जिसका सामान्य दलित जनता से बहुत कमजोर रिश्ता था इस ने दलित मुक्ति कि विचारधारा को पूरी तरह तोड़-मरोड़ दिया , स्थानीय सर्वहारा वर्ग के तौर पर दलितों का उत्थान जेल में कुछ उपहार बाँट कर नहीं किया जा सकता यह आज़ादी तभी संभव है जब इस जेल को ही बारूद से उदा दिया जाये और इसकी जगह उनकी जरुरत के मुताबिक नए आसरे का निर्माण किया जाये | " - आनंद तेलतुम्बडे

" हमें नहीं चाहिए ब्राम्हण गलियारों  में छोटी सी जगह हमें पुरे मुल्क की  हुकूमत चाहिए ह्रदय परिवर्तन उदार शिक्षा हमारे शोषण को ख़त्म नहीं कर सकती जब हम इंकलाबी अवाम को इकठ्ठा कर लेंगे जागरूक करेंगे तब इस विशाल संघर्ष के बीच से इंकलाब कि लहर आगे बढ़ेगी दलितों के खिलाफ जारी नाईंसाफी को ख़त्म करने के लिए जरुरी है कि वह खुद हुक्मरान बने यही जनता का जनतंत्र है | " - दलित पैंथर 

" बहुत सारी गलतफहमियां दलित आंदोलन के पेट्टी बुर्जुआ (निम्न मध्यमवर्गीय नियंत्रण ) से पैदा हुई है , निहित स्वार्थों ने आंबेडकर के इधर-उधर विखरे विचारों का इस्तेमाल कम्युनिस्म को निचा दिखने के लिए किया गया | " - आनंद तेलतुम्बडे



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