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Sunday, August 30, 2015

कर्मचारियों तुम संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं !


40 संविदाकर्मियों का निष्कासन तत्काल वापस लो !
छात्र-कर्मचारी व शिक्षक संघ को बहाल करो !

      दिनांक  २४-८-२०१५ से आज कर्मचारियों के भूख हड़ताल का छठवां दिन हैं | साथियों बीएचयू के ये कर्मचारी भूखे-प्यासे अपनी जान जोखिम में डालकर अपनी रोजी-रोटी के लिए संघर्ष कर रहे हैं | यही नहीं बल्कि इनका पूरा परिवार (कई जिंदगियाँ) इस संघर्ष में शामिल हैं | ये संघर्ष इनकी जिंदगी का सवाल बन चुका हैं | इन कर्मचारियों का कहना हैं कि जिस परिसर कि हम वर्षों से सेवा कर रहे हैं आज वही  परिसर हमारे लिए बेगाना हो गया हैं | हमें हमारे कामों में महारथ हाशिल हैं , तजुर्बा हैं और वर्षों का अनुभव हैं | ये काम कोई नया कर्मचारी इतनी  जल्दी इतने बेहतर ढंग से नहीं कर सकता हैं |लेकिन प्रशासन इन सारी  चीजों का बगैर ख्याल किये बिना नोटिस दिए हमें (४० संविदाकर्मियों) नौकरी से निकाल दिया | यही नहीं बीएचयू प्रशासन ने ४७ पदो पर भर्ती का विज्ञापन निकला लेकिन ८३ पदो पर स्थाई भर्ती कर दिया | विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (ugc) द्वारा पारित एक नियम यह हैं कि किसी भी स्थायी भर्ती में २५ प्रतिशत संविदाकर्मियों को कोटा दिया जायेगा | कुछ कर्मचारी पोस्ट अगेंस्ट भी  हैं | लेकिन प्रशासन इस कानून का उलंघन कर अपने मन-मुताबिक पैसा लेकर भर्ती कर रहा हैं | इस भ्रष्टाचार में बीएचयू के आला अधिकारी लिप्त हैं | जिसका मुखिया खुद वीसी गिरीश चन्द्र त्रिपाठी हैं | 



कर्मचारी दुःख व्यक्त करते हुए कह रहे हैं कि हमारे घर-परिवार का क्या होगा ? माँ-बाप कि सेवा , बीबी-बच्चों कि देखभाल और पढ़ाई सब ठप्प हो गयी हैं |दो वक्त कि रोटी मुहाल हो गयी हैं | घर में चूल्हा जलना मुश्किल हो गया हैं | किसी तरह जिंदगी में इन्हे एक उम्मीद मिली थी | जिसके लिए भी इन्होने डिग्री हाशिल और मेहनत कर इंटरव्यू दिया | तब जाकर नौकरी मिली थी | लेकिन उम्र के इस मोड़ पर , ऐसी स्थिति में और बदलते हुए ज़माने में ये क्या करे ?और कहाँ जाये ?

   कर्मचारियों में सन्नी बिरहा ,सुनील ,उमेश गिरी ,छविनाथ सिंह ,उपेन्द्र आमरण अनसन पर हैं | इनके बैनर पर लिखा हैं कि न्याय करो ! भूखमरी से हमें और हमारे परिवार को बचाओ ! ये कर्मचारी जल-विद्द्युत आपूर्ति विभाग,बीएचयू के हैं | इनकी मांग हैं कि निष्कासित ४० कर्मचारियों को बहाल करो और सभी संविदा कर्मचारियों को स्थायी करो | ये लोग मुख्य द्वार बीएचयू,लंका पर अपने बैनर व टेंट लगाकर बैठे हुए हैं | लगातार भाषण-नारों, सभा,लोगों के समर्थन व भूख हड़ताल से संघर्ष जारी रखे हुए हैं | इनके संघर्षों में लोगों कि भागीदारी बढ़ती जा रही हैं | छात्र-कर्मचारी -अध्यापक ,नेता यहाँ तक कि शहर के अन्य तबके रेहड़ी पटरी व्यवसायी व आम लोग भी शामिल होते जा रहे हैं | लेकिन इन हड़तालकर्मियों कि हालत भी बिगड़ती जा रही और प्रशासन कोई खबर तक नहीं ले रहा हैं | 

        स्थाई नौकरी का अगर हम इतिहास देखे तो पाएंगे कि स्थाई नौकरी मजदूरो के मांगों ,कुर्बानियों ,हड़तालों व क्रांतियों से अस्तित्व में आई थी | लेकिन उदारीकरण-निजीकरण-वैश्वीकरण कि साम्राज्यवादी नीति के बाद स्थाई नौकरी कि अवधारणा ही ख़त्म कि जा रही हैं | यहाँ तक कि अब सरकार कि भी अवधारणा ख़त्म कर कार्पोरेट गवर्नेंस लाया जा रहा हैं | आज कोई भी छात्र स्थाई नौकरी  के इतिहास पर रिसर्च करना चाहे तो उसे नहीं करने दिया जायेगा |

साथियों,
    आज जो संविदा कर्मचारियों के सामने प्रश्न हैं यह केवल उन्ही का नहीं बल्कि यह छात्रों कभी प्रश्न हैं | साडी मेहनतकस जनता और पुरे देश का प्रश्न हैं |छात्रों को भी नौकरी करनी हैं उन्हें भी यही दिन देखने हैं | 

     बनारस को क्योटो बनाने के लिए विदेशी दलाल मोदी ने जापान को माडल बनाने के लिए कहा हैं | लेकिन क्या हमारे विश्वविद्यालय के छात्र इस काबिल नहीं हैं कि अपना घर-शहर बना सके ? इससे ज्यादा शर्म कि बात विश्वविद्यालय और छात्रों के लिए क्या हो सकती हैं ?बीएचयू कैम्पस में कितनी पढ़ाई होती हैं,कितनी नौकरी मिलती हैं | यह देश व शिक्षा के भविष्य का कितना निर्माण कर रहा हैं | लोकतंत्र कि कितनी रक्षा कर पा रहा हैं | इसका तो पता नहीं लेकिन हाँ कैम्पस लगातार पीएसी का अड्डा बना हुआ हैं | आरएसएस कि शाखाये चलती हैं, छात्रों से छेड़खानी होती हैं | छिनैती-चोरी  होती हैं | 

      वीसी कहते हैं कि छात्रों को धरना नहीं करना चाहिए नहीं तो उनके अभिभावक से शिकायत कि जाएगी |नेतृत्वकारी छात्रों को हॉस्टल से बाहर कर अलग हॉल(बैरक) में रख दिया जाता हैं |प्रवेश के बाद छात्रों से अंडरटेकिंग ली जाती हैं कि किसी भी धरना-जुलूस में शामिल नहीं होंगी |यही हैं बीएचयू प्रशासन के लोकतंत्र कि संस्कृति | इस निर्माण में इसके मुखिया गिरीश चन्द्र त्रिपाठी के बारे में किसी से छिपा नही हैं कि ये आरएसएस के हैं और शिक्षा के कितने बड़े माफिया हैं | LPG -PPP के पैरोकार हैं और मोदी द्वारा इन्हे नियुक्त किया गया हैं | ये महानुभाव बहुत ही घटिया तरीके से इन सारी  चीजों को अंजाम दे रहे हैं |अब देखना ये हैं कि ये कितने दिन टिकेंगे !

साथियो,
       इस स्थिति का सामना सभी को करना हैं क्योकि देश में जो नीति लायी गयी हैं और चल रही हैं उस व्यवस्था में यही होना हैं | हमारे कहने का तात्पर्य यह हैं कि पूरी दुनिया के जितने भी बड़े पूंजीपति (साम्राज्यवादी)  हैं उनके लिए जीतनी भी संसदीय-दलाल पार्टिया हैं वह सभी संस्थानों में यही करेंगे | ये काम से काम लगत में ज्यादा से ज्यादा मुनाफा व श्रम लूटना चाहते हैं | चाहे इससे जनता भूखो क्यों न मरे,गरीब ,बदहाल क्यों न रहे | 


     ऐसे में जब तक देश में एक क्रन्तिकारी बदलाव नहीं होगा तब तक कुछ नहीं होने वाला हैं | इसके लिए जरुरी हैं कि सभी जगह के कर्मचारी-छात्र-अध्यापक व मजदूर-किसान इनके संघर्षों के साथ आये | इनके संघर्षों को ऊर्जा प्रदान करें | ताकि यह लड़ाई जीत में बदल जाये |इन्हीं छोटे-छोटे संघर्षों और जीतों को मिलकर हम एक ऐसे संघर्ष व जीत कि तरफ भी बढ़ेंगे जिससे क्रांति होगी और नव-जनवाद आएगा | तब भगत सिंह जैसे लाखों शहीदो का सपना साकार होगा !


Saturday, August 29, 2015

कर्मचारियों के समर्थन में बीसीएम ने वीसी का किया पुतला दहन


          कर्मचारियों का आंदोलन ज़िंदाबाद !
भगत सिंह छात्र मोर्चा ने विश्वविद्यालय प्रशासन के तानाशाही पूर्ण रवैये के खिलाफ वाईस चांसलर का पुतला फूँका


साथियों,

      जैसा की आप सब को पता है "BHU के जल एवं आपूर्ति विभाग से निष्कासित 40 संविदा कर्मचारियों का अनिश्चित भूख हड़ताल जारी है .भगत सिंह छात्र मोर्चा ने पहले ही इस आंदोलन का समर्थन किया है |

आपको ये बताते चले की ये आंदोलनकर्मी 25 /8 /2015 से ही भूख हड़ताल पर बैठे है लेकिन अफ़सोस की BHU प्रशासन का एक भी अधिकारी अभी तक इनकी सुध लेने नही पंहुचा .प्रशासन के इस फासीवादी रवैये के खिलाफ भगत सिंह छात्र मोर्चा ने 28 /8 /2015 की शाम लंका गेट BHU पर वाईस चांसलर का पुतला फूंका जिसमे अनूप ,अनुपम ,आरती,शैलेश,मनीष,विनय ,मनीष विनोद,सिद्धांत,युद्देश आदि शामिल थे ,जिसके बाद यह कार्यक्रम सभा में बदल गया |


      जिसमे BCM के अध्यक्ष शैलेश जी ने छात्रों और कर्मचारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि  "यह सिर्फ 40 कर्मचारियों की लड़ाई नही है बल्कि छात्रों और शिक्षको की भी है आज जिस तरह का अलोकतांत्रिक और गैरराजनीतिक माहौल विश्वविदयालय परिसर में है इसके भयंकर परिणाम आगे देखे जा सकते है .अभी तो यह शुरुआत है जहां मजदूरो के लोकतान्त्रिक अधिकारों का हनन हो रहा है ,धीरे -धीरे शिक्षको और छात्रों की बारी है .विश्विद्यालय में एक ख़ास तरह की साम्प्रदायिक मानसिकता (आरएसएस की मानसिकता )को विकसित किया जा रहा है .और यह सिलसिला नए V .C के आने बाद बहुत तेज़ी से फ़ैल रहा है .जिसका एक परिणाम सामने है |"

इस बीच "मशाल सांस्कृतिक मंच" की ओर से युद्देश बेमिसाल जी ने आंदोलनकर्मियो के उत्साह को बढ़ाने के लिए "मिलजुल गढ़े चला हिंदुस्तान भैया " जैसे क्रन्तिकारी और जनवादी गीत को गया | और अंत में भगत सिंह छात्र मोर्चा ने इस मोर्चे पर सभी को साथ मिलकर लड़ने के लिए प्रेरित किया और साथ ही साथ BHU परिसर में छात्र संघ,शिक्षक संघ,कर्मचारी संघ जल्द से जल्द बहाल करने की मांग की .
इंकलाब जिंदाबाद !!!

Monday, August 3, 2015

Democratic Student Union of JNU along with students from other progressive left organization condemned the death penality


Over 200 students responded to DSU's call to break the silence around Yakub Memon's judicial killing by the Indian state and participated in the Effigy Burning of the Home Ministry. Here are pictures of the same, courtesyAzhar Amim



They quote neither the constitution nor any other law but Manusamriti to justify the murder of Yakob Memon in a case where the only proofs were his own statements.
A protest against Ministry of Home Affairs who was so swift in hanging Memon as early as possible after the rejection of his mercy plea by MHA even when 15 days time is given...
Democratic Student Union of JNU along with students from other progressive left organization condemned the death penality




























A Powerful Reply from Maoist Leaderʹs Daughter to Home Minister.



Lal salam's photo.

In the first week of July, Kerala Home Minister Ramesh Chennithalawrote an open letter to the daughters of Maoist couple - Rupesh and Shyna, who were arrested by the Andhra Pradesh police in May this year.Reports say that the couple was in hiding for about 10 years. They have two daughters - 19-year-old Ami and Savera, who is close to ten years of age.In his letter, the Minister spoke about his concern for the two children who did not receive enough care from their parents. Healso appealed to the girls to not get"entangled in pointless campaigns and hollow ideologies". Instead, he asked them to focus on their academics and to grow into"responsible citizens of the nation".However, Ami, the elder sibling hasnow written an open letter to the Home Minister, her discomfiture and disagreement with the contentsof his letter for all to see. Her letter was published by Malayalam newspaper Madhyamam in their online edition.Translated excerpts from the letter,originally written in Malayalam:The Honorable Home Minister,I happened to read the letter you wrote to us showering us with your sympathies. As a father of two, you spoke about how concerned you were that we did not get enough love and care from our parents. I thank you for your gesture. Even so, I could not fail to notice some factual mistakes and inconsistenciesin the letter. Hence, I decided to write a letter to share my views.It is illogical to say that my sister and I did not receive abundant loveor care from our parents. I believe that we have received it more than most children I know. I used to accompany my parents everywhereas a child. In fact, I was staying in the Adivasi colony that you toured on January 1, when I was just five years old. My life in Kolkata, Ranni, Mumbai and Bengaluru also openedup a lot of cultures and issues for me . This helped me widen my perspective quite a bit. But things changed when the police force, which you are leading currently, barged into our lives.When I was 10, my four-year-old sister Savera and our mother were unreasonably taken into police custody. Due to the unending harassment from your force, she decided to give up her job in the Kerala High Court and became a fulltime social activist. She had then written a letter to the Chief Minister VS Achuthanandan criticizing the force which pressured her into the decision. I am just issuing a gentle reminder that it the police force that you represent which forced us to remain uneducated.In your letter, you also opined about how worried you were about people leading us astray. You also urged us to be cautious of them. But the reality is different. A group of policemen broke the front door of my house without a warrant and raided it. They also disrespected me. They told my then five-year-old sister that if they get their hands on my father, they would kill him by a bludgeoning his head with a big stone.There are more stories like these...When my sister and I visited a function hosted by a cultural front, we were accused of being Maoists and locked up in the Mahila Mandir.And then, your policemen were justconcerned about how chaste I was."Am I a virgin? Is my hymen ruptured?" were some of the many questions they had in store for me.When a policeman asked me for myFacebook password, I demanded that I will only access it in front of asenior official. To this, he replied, warning me that I will not see the outside world for a long time if I didn’t comply. What is your answer to my sister, who cried her heart out all night at that Mahila Mandir?The organizers of the cultural front were unfairly accused of kidnappingus and were slapped with charges. This happened despite us reiterating that they did not kidnap us. The police witch-hunt your forceunleashed on them using UAPA has made their lives a living hell. It wasdue to the constant harassment that we have gone through in our lives, that has made us realize the fallacies on which a mighty democracy is built. The anti-people policies of the police made me realize that the ideologies, for which my parents fight, are right.When you took the time to sympathize with us for growing up with no parents around, how could you ignore the 150 children of Attappady who are stillborn every year?Endosulfan, Plachimada, Arippa, Kathikudam and many more land protests have made Kerala the landof a mass movement.Children are born in these lands too, why arenʹt you acknowledging them?Half of the children from ScheduledTribes who enroll into primary school fail to make it to the ppper primary level. Close to three-fourthof them do not reach high school. Can you shy away from these failures? Because of the privatization of education, tens of thousands are now in the paws of educational loans with even suicides reported.Why do you still choose to ignore them?In your letter, you say that it is not destruction but construction that we need. Interestingly, last December, I happened to read a letter my father wrote to you. He urges you to acknowledge the plightof the landless tribals. He speaks about how poor rates for their produce are a nail in the coffin for them. In the letter, I read about the tribal people and poor farmers who are crushed due to the anti-people policies of your government. But you have never taken an initiative to even address the issue.You may call our parents miscreants. For you and your predecessors they will certainly be miscreants. Bhagat Singh, Subhash Chandra Bose and many others whoopposed colonialism were then called miscreants. They were all dealt with anti-democratic laws and dark dungeons. Today, you are dealing with my parents in the same manner. But the majority of our people, who are poverty-riddendo not see my parents as miscreants. Their fight resonates more among them than yours. My parents didnʹt set off to make a safe future or finances for themselves. Instead, they set off tomake the lives of the poor people in Kerala and this country better. Their fight was for them.(courtesy By The News Minute)Keywords : Maoist leader, Roopeshʹs daughter, Kerala Home Minister,(2015-08-01 22:34:58)