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Thursday, June 18, 2020

आकांक्षा कौशिक की कविता: विद्रोह



विद्रोह ही है आखिरी रास्ता,
उस फुलिया के लिए
जिसके साथ बलात्कार करके
उसके गुप्तांगो में पत्थर
भर दिया गया,

विद्रोह ही है आखिरी रास्ता,
उस रामलाल के लिए
जिसने नहीं खाया
पिछले कई दिनों से
एक वक्त का भी खाना,

विद्रोह ही है आखिरी रास्ता,
उस ममता के लिए,
जिसकी नन्ही बच्ची ने,
भात - भात करते दम तोड़ दिया,

विद्रोह ही है आखिरी रास्ता,
उस जनता के लिए,
जिसके जल,जंगल और जमीन को
हड़पने के लिए साम्राज्यवादियों द्वारा
प्रतिदिन नए हथकंडे अपनाए जा रहे हैं,

विद्रोह ही है आखिरी रास्ता,
उस हरखू के लिए,
जिसकी आठ साल की बेटी,
पिछले कई दिनों से लापता है,

विद्रोह ही है आखिरी रास्ता,
उन आदिवासियों और वंचितों के लिए,
जिनकी अपने ही जंगल से लकड़ी
काटने पर सत्ता द्वारा बर्बरतापूर्ण
 हत्या करा दी जाती है

विद्रोह ही है आखिरी रास्ता,
ऐसी राजसत्ता के खिलाफ,
 जिसमें  मेहनतकश वर्ग,
की कोई गिनती नही है।

© आकांक्षा कौशिक

1 comment:

Unknown said...

बहुत ही सुन्दर