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Tuesday, July 16, 2019

विलास घोघरे, एक क्रांतिकारी जनकवि व दलित एक्टिविस्ट!

15 जुलाई को विलास घोघरे, जो क्रांतिकारी जनकवि व दलित एक्टिविस्ट के रूप मे जाने जाते है का स्मृति दिवस है।  उन्होंने आजीवन लोकगायन के माध्यम से जनता को इस सड़ी-गली मानवद्रोही व्यवस्था को बदलने के लिए संगठित करने का प्रयास किया। इसके लिए वह गली- गली, चौक - चौराहें पर जाकर जन- गीत गाया। हज़ारों सालों से दलित समुदाय ने जाति के आधार पर शोषण झेला है एवं उसके खात्मा व सम्मानपूर्वक जीवन के लिए संघर्ष किया। 11 जुलाई 1997 को महाराष्ट्र के रमाबाई नगर मे जब ब्राहमणवादियों ने 'डा० अंबेडकर' को जूते- चप्पल का माला पहनाया तो लोगों ने एकत्रित होकर इसका विरोध जताया। लेकिन ब्राह्मनवादी - साम्राज्यवादी राज्यसत्ता के पुलिस ने गुनाहगारों को गिरफ्तार करने के बजाय विरोध करने वालों दलितों को मारा पीटा एवं गोलियां भी चलाई।  इस गोलीबारी मे 10 निहत्थे दलित मारे गए तथा दर्जनों घायल हुए। इसके चार दिन बाद घटना से क्षुब्ध होकर विलास घोघरे ने आत्महत्या कर ली।  यह बताता है कि आजादी के इतने सालों बाद भी यह व्यवस्था दलितों, मजदूरों, गरीबों,  किसानों को न्याय नही दिला सकता।
आनंद पटवर्धन की डॉक्युमेंटरी  "जय भीम कॉमरेड" में इस घटना का सर्वेक्षण है।
भगत सिंह छात्र मोर्चा जनकवि विलास घोघरे के संघर्ष को क्रांतिकारी सलाम करता है। जिन्होंने इस शोषणकारी व्यवस्था को बदलने के लिए आजीवन संघर्ष किया।

सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता मनिष और अमिता व पत्रकार रूपेश कुमार सिंह की रिहाई के लिए बनारस मे निकला जुलूस।

आज दिनांक 13 जुलाई को लंका गेट बीएचयू पर सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं की रिहाई के लिए,UAPA व NSA जैसे जन-द्रोही कानूनों को रद्द करने के लिए एवं सभी प्रकार के राजकीय दमन के खिलाफ एक मार्च और सभा का आयोजन किया गया था। तय समय के अनुसार सभा मे हिस्सा लेने और अपना प्रतिरोध जताने सभी साथी पहुँचे।




लेकिन उस जगह समय से पहले ही क़रीब 300 के आसपास पुलिसकर्मी पहुँचे हुए थे। जब हमने सभा की शुरुआत की तो 8 से 10 आरएसएस और abvp के लंपट वहाँ पर आकर जय श्री राम, नक्सलियों वापस जाओ, माँ-बहन की गालियां, माओवादियों वापस जाओ आदि नारे लगाकर हम सब से भिड़ने की कोशिश करने लगे। हम सब ने बिना रुके अपना कार्यक्रम जारी रखा और इंक़लाब ज़िंदाबाद, भगत सिंह-अम्बेडकर और बिरसा मुंडा की विरासत ज़िंदाबाद,सामाजिक कार्यकार्ताओं को रिहा करो,अमेरिका का दलाल आरएसएस/bjp मुर्दाबाद, जल-जंगल-जमीन की लड़ाई जिंदाबाद आदि नारे लागए। उसके बाद हमने अपना मार्च निकाला और रविदास गेट होते हुए नागरिक समाज में बैनर और नारों के बीच अपनी बात ले गयें। वापस हम सब ने लंका गेट पर आकर सभा कि जिसमें से भगत सिंह अम्बेडकर विचार मंच के श्री प्रकाश राय ने कहां कि आज संसद में विपक्ष खत्म हो गया है। आज इतना खराब माहौल बना दिया गया है हम सबको शांति से एक मीटिंग तक करने नहीं दिया जा रहा है। फासीवाद हम सबसे बोलने के अधिकार को भी छीन लेना चाहता है। इसलिए हम सबको इसी तरह संघर्ष के लिए लगातार सड़क पर आना पड़ेगा। वही रितेश विद्यार्थी ने कहा की आज की सरकार ने देश को कॉर्पोरेट के हाथों बेचने के तत्पर है।सरकार के द्वारा जारी इस लूट का पर्दाफाश करने वाले और किसान-मजदूर-दलित-महिला-आदिवासी के अधिकारों की बात करने वाले कार्यकर्ताओं को गैर-कानूनी रूप से जेलों में डाला जा रहा है।आरएसएस के लोग कल तक अंग्रेजो से लड़ने के बजाय उनके साथ गांठ करते थे और माफी तक मांगते रहे है और यही सब अमेरिका की दलाली कर देश का जल-जंगल-जमीन को बेच रहे है। और जो भगत सिंह-अशफाक उल्लाखाँ की विचारधारा पर चलने वाले लोगों है उनको देश द्रोही बताते  है। आज हमको चाहिए की देश के इन गद्दारों का पर्दाफाश करें और एक संयुक्त मोर्चा बनाकर फासीवाद को ध्वस्त करें।सभा में आल इंडिया सेकुलर फ्रंट की डॉ नूर फातिमा, प्रो मोहम्मद आरिफ, संजीव सिंह, मजदूर किसान एकता मंच के कन्हैया जी, स्टूडेन्ट फ़ॉर चेंज से वंदना ने अपनी बात रखी । अंत में सभी ने मिलकर "हर दिल में बगावत के शोलों को जला देंगे" गीत से अंत किया। कार्यक्रम का संचालन ऐपवा की कुसुम वर्मा ने किया।

इस कार्यक्रम में AIPWA, AISA, SFC, परिवर्तनकामी विद्यार्थी मोर्चा, आल इंडिया सेक्युलर फोरम, स्वराज इंडिया, भगत सिंह छात्र मोर्चा, मजदूर किसान एकता मंच ने भाग लिया।