साथियों,
आज जैसे जैसे हमारे देश पर साम्राज्यवाद ,सामंतवाद और ब्राह्मणवाद का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है,ऎसे समय में भगत सिंह का विचार ही एक मात्र रास्ता है!जिससे हम अपने देश को आजाद करा सकते है ! भगत सिंह ने उसी समय चेतावनी देते हुए कहा था की आजादी के नाम गोरे अँगरेज़ तो चले जायेगे फिर भी इस देश में कुछ नही बदले वाला है! तथाकथित आज़ादी के 67 सालो बाद भी हमने इसे बहुत अच्छी तरह से देख लिया है,आज भी मजदूर उसी दशा में जी रहे है किसानो की आत्महत्या किसी से छुपी नहीं है,आज भी दलितों को उनका अधिकार नहीं मिला है और तो और बल्कि आज आरक्षण के नाम सारी राजनितिक पार्टिया अपना वोट बैंक मजबूत कर रही है! ये कैसा लोकतंत्र है जो जनता की सरकार बता कर उन्ही का दिन-रात खून बहाने से बाज़ नहीं आ रही है! खैरलांजी और लक्ष्मणपुर बाथे जैसी अमानवीय घटना से हम आज देश की हालत को अच्छी तरह से समझ सकते है! कहने को हम दुनिया में सबसे बड़े लोकतंत्र का ढिंढोरा पीटते है पर एक उदहारण के तौर पर, अगर हम कशी हिन्दू विश्वविद्यालय में आते तो हमे इस लोकतंत्र की खोखली तस्वीर देखने को मिलती है! मैं आपकी जानकारी के लिए बता दूँ की BHU कैंपस में हमेश धारा-144 लगी रहती है और यहाँ BHU प्रशासन PAC फ़ोर्स को हमेशा अपने यहाँ तानाशाही कायम रखने के लिए रखती है,आप और हम तो ये अच्छी तरह से समझ सकते है की यूनिवर्सिटी के अंदर छात्रों और शिक्षको के बीच फ़ोर्स का क्या काम!
साथियो,
इस तरह के अलोकतांत्रिक पूर्ण माहौल में हम चुप-चाप कैसे बैठे रह सकते है ,आज समय आ गया है की हम सभी भगत सिंह के विचारो के साथ संघर्ष करें ! क्योकि यही एक रास्ता है जिस से हमे मुक्ति मिल सकती है और तब ही हमारे मजदूर साथी को उनका अधिकार,किसानो को उनका जमीन और हुमरे आदिवासी भाइयो को उनका जार जंगल जमीन! भगत सिंह के शब्दों में जहां एक मनुस्य के दूसरे मनुष्य के द्वारा दूसरे मनुष्य का शोषण असंभव हो जाएगा!
इंक़लाब जिंदाबाद !