कोरस (कोरेक्स) और अन्य सभी तरह की नशाखोरी के खिलाफ बजरडीहा की समस्त जनता एकजुट हों !
अवैध तरीके से कोरस (कोरेक्स ) और अन्य सभी तरह के नशा बेचने वाली दुकानों का विरोध करो ! !
साथियों ,
जैसा कि आप सब को मालुम है बजरडीहा में आज नशाखोरी की समस्या एक भयंकर रूप ले चुकी है। नशाखोरी की लत खासतौर पर हमारे घर-परिवार,पास-पड़ोस,मोहल्ले आदि के नौजवानो में बहुत तेजी से फैलती जा रही है। आज 100 मे से 60-70 घरों मे कम से कम एक युवा नशाखोरी का अवश्य शिकार है। नशाखोरी का आलम यह है कि नशा करने वाले लोग अपने घर-परिवार,पास-पड़ोस,मोहल्ले आदि के घरों के सामान और बर्तन तक चोरी करके नशे का सामान खरीदने के लिए मजबूर हैं। यही कारण है कि आज बजरडीहा में चोरी की समस्या बढ़ती जा रही है। नशाखोरी के कारण युवाओं की स्थिति ऐसी हो गयी है कि नशे का सामान खरीदने के लिए वे अपना खून तक बेच रहे हैं। नशाखोरी की यह समस्या खास तौर पर बिनकारी करने वाले नौजवानों के बीच बहुत तेजी से बढ़ रही है। बिनकारी करने वाले नौजवान अपनी कमाई का सारा हिस्सा नशाखोरी करने में खर्च कर देते हैं। जिससे घर-परिवार की हालात भी दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जाती है चूँकि बजरडीहा एक बुनकर बाहुल्य इलाका है इसलिए नशाखोरी की यह समस्या बुनकरों के बीच ही ज्यादा
पैर पसार रही है।
नशाखोरी की यह लत केवल पुरुषों के बीच ही बढ़ रही है न की माहिलाओं के बीच। लेकिन सबसे ज्यादा कष्ट महिलाऑं को ही उठाना पड़ता है। घर का सारा काम करने के बाद उन्हें नशाखोरी की समस्या से भी जूझना पड़ता है।आज बजरडीहा में सैकड़ों युवा नशाखोरी के शिकार हैं। हर साल न जाने कितने नौजवानों को नशे की लत के कारण अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है,ऐसे में आज सबसे बड़ा सवाल यह है कि नशाखोरी की यह समस्या बजरडीहा में क्यों बढ़ रही है? और इसके लिए कौन जिम्मेदार है? जैसा कि देखा
गया है कि अगर हमारे आस-पास नशा बेचने वाली दुकानें खोल दी जाती हैं
तो देर-सवेर हमारे घर के बच्चो,बूढों तथा नौजवानों को अपने आप नशे की लत लग जाती
है, ठीक उसी तरह जैसे हमारे आस-पास चाय और पान की दुकानों को खोलने पर बच्चों,बूढों तथा नौजवानों को चाय ,पान करने की लत लग जाती है अतः नशाखोरी की समस्या बढ़ने के लिए नशा करने वाले नहीं बल्कि नशा बेचने वाले जिम्मेदार हैं और साथ ही यह सरकार जिम्मेदार है जो की नशाखोरी को बढ़ावा दे रही है।
जैसा कि हम सब जानते है कुछ खास तरह कि दवाओं का सेवन नशे के रूप में हमारे यहाँ के नौजवान कर रहे हैं। ये दवायें मेडिकल की दुकानों पर अवैध तरीके से
खुलेआम बेची जा रही हैं। इन दवाओं में मुख्यतया कफ सिरफ यानी खाँसी की दवाएं,पेन किलर्स यानी दर्द की टिकिया आदि हैं। इन दवाओं पर सरकार ने रोक लगा रखा है क्योंकि ये दवाएं ओवरडोज लेने पर नशे का काम करती है। अगर कोई यह दवा खरीदता या बेचता है तो उसे किसी झोला छाप नहीं बल्कि प्रमाणिक डाक्टर द्वारा लिखित पर्चे को दिखाकर के ही खरीद सकता है या लिखित पर्चे को देख कर ही कोई दुकानदार इसे बेंच सकता है।
लेकिन बजरडीहा की दवा की दुकानों पर ये दवाएं खुलेआम बिना किसी डाक्टर के द्वारा लिखित पर्चे के अथवा बिना सलाह -मशविरा के बिक रही हैं। ऐसी दुकानों की संख्या बजरडीहा में लगभग 20-25 होगी। इन दवाओं का नाम कोरेक्स ,कफ़बैन ,फीक्साडील ,रिसकफ़ आदि हैं। इन दवाओं में 30-40 प्रतिशत अल्कोहल की मात्रा होती है। जिससे इन दवाओं का अधिक सेवन करने के बाद शराब की तरह नशा होता है।चूँकि शराब की बुराई के बारे में सबको मालूम है इसलिए शराब खरीदने में नौजवानों को हिचकिचाहट होती है। अतः इसके विकल्प के रूप में इन दवाओं का सेवन करना आसान होता है क्योंकि इन पर कोई रोक-टोक नहीं है और लोगों को पता भी नहीं चलता है।
आज अगर वक्त रहते बजरडीहा के लोग नशाखोरी के खिलाफ एकजुट नहीं होते हैं तो वह समय दूर नहीं है कि हमारे घर-परिवार,पास-पड़ोस,मोहल्ले आदि के बच्चों,नौजवानों की एक पूरी पीढ़ी नशाखोरी के कारण मौत के मुह में चली जाएगी। हमारी सारी मेहनत की कमाई नशे में चली जाएगी और हमारे समाज और कौम का विकास रुक जायेगा। अतः हमारा संगठन बजरडीहा के सभी बड़े बुजुर्ग ,महिलाओं तथा नौजवानों से यह अपील करता है की नशाखोरी के खिलाफ एकजुट हो, नशा बेचने वाली दुकानों का विरोध करें और अपनी बात को सरकार तक पहुचाने के लिए जल्द से जल्द एक विरोध प्रदर्शन करने के लिए तैयार हो जायें।
बुनकर एकता मंच
संपर्क सूत्र :- 9696745969,7505666842,9935490917,7499732643
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