कथासम्राट प्रेमचंद्र की १३३ वीं जयंती पर मशाल सांस्कृतिक मंच द्वारा 31 जुलाई को शाम ५ बजे अस्सी घाट पर उनकी कहानियों ठाकुर का कुआँ और सदगति के नाट्य रूपांतरण की प्रस्तुति की गयी | इस कार्यक्रम में जनगायक युद्धेश "बेमिशाल" ने अपनी टीम के साथ ढेर सारे क्रन्तिकारी जनगीत प्रस्तुत किये और कार्यक्रम में बीएचयू से जुड़े छात्रों एवं बुद्धिजीवियों ने मुन्सी प्रेमचंद्र और आज का समय पर विचार व्यक्त किये |
इस विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए बीएचयू के प्रो० प्रमोद बागडे और डा० रामाज्ञ शशिधर ने कहा कि " आज जब समाज में गहरी सामाजिक -आर्थिक असमानता व्याप्त हो चुकी है और जातिगत उत्पीडन बहुत तेजी से बढ़ रहा है ,तब ऐसे में मुंशी प्रेमचंद्र के विचार ही हमें मुक्ति का रास्ता दिखा सकते है |"
नाटक में पंडित दातादीन का एक दृश्य |
No comments:
Post a Comment