दिल्ली यूनिवर्सिटी के सहायक
प्रोफ़ेसर जीएन साईबाबा के यूनिवर्सिटी कैंपस स्थित घर में गुरूवार दोपहर
गढ़चिरौली और दिल्ली पुलिस की संयुक्त टीमों ने छापा मारा.
प्रोफ़ेसर जीएन साईबाबा बतौर सामाजिक कार्यकर्ता, रेवोल्यूशनरी डेमोक्रेटिक फ्रंट नाम की भी एक संस्था से जुड़े हुए हैं.प्रोफ़ेसर के अनुसार सर्च वारंट महाराष्ट्र के गढ़चिरौली ज़िले के अहेरी से जारी किए गए थे.
लेकिन प्रोफ़ेसर जीएन साईबाबा का आरोप है कि पुलिस ने झूठे मामलों में वारंट लाकर उनके घर की तलाशी ली.
'आवाज़ दबाने की कोशिश'
बीबीसी से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, “पुलिस ऐसी हरकतों से मुझे डरा धमकाकर मेरी आवाज़ बंद करना चाहती है क्योंकि मैं मानवाधिकार की बात करता हूं. छत्तीसगढ़ में ऑपरेशन ग्रीनहंट का विरोध करता हूं और कहीं भी पुलिस की तरफं से की गई अमानवीय कार्रवाइयों का विरोध करता हूं.”प्रोफ़ेसर साईबाबा का कहना है कि वो चाहते थे कि पुलिस की तलाशी उनके वकील के समक्ष ही हो, लेकिन पुलिस ने उनकी ये बात नहीं मानी.
उनका कहना है कि पुलिस ने कार्रवाई दोपहर तीन बजे शुरू की जो शाम साढ़े छह बजे तक चली और इस दौरान घर के दरवाज़े बंद रखे गए, किसी को भीतर आने नहीं दिया गया.
बीबीसी ने जब इस मामले पर पुलिस का पक्ष जानने के लिए गढ़चिरौली के पुलिस अधीक्षक सुवेज़ हक़ से बात की तो उन्होंने शुक्रवार को आधिकारिक प्रतिक्रिया में अपना पक्ष रखने की बात कही.
प्रोफ़ेसर जीएन साईबाबा का आरोप है कि पुलिस उनके घर से इनका लैपटॉप, चार पेन ड्राइव, चार एक्सटर्नल हार्ड-डिस्क, कुछ किताबें अपने साथ ले गई है.
प्रोफ़ेसर साईबाबा पुलिस की इस कार्रवाई को दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू के पूर्व छात्र हेम मिश्रा की गिरफ़्तारी से जोड़कर देख रहे हैं.
उन्होंने कहा, “जेएनयू के पूर्व छात्र हेम मिश्रा की गिरफ़्तारी का दिल्ली यूनिवर्सिटी और जेएनयू के शिक्षकों ने विरोध किया था, पुलिस को ग़ुस्सा इसी बात का है.”
No comments:
Post a Comment