अम्बेडकर जयन्ती (१४ अप्रैल) के अवसर पर उनके क्रन्तिकारी विचारों के पोस्टर लगाए गए और एक गोष्ठी का आयोजन किया गया | जिसका विषय अम्बेडकर के क्रन्तिकारी विचार था | आरती और लालमनी के गीत से कार्यक्रम की शुरुआत हुई | सभी छात्र-छात्राओं ने अपनी बात रखते हुए यह कहा कि "अम्बेडकर एक ईमानदार क्रन्तिकारी व्यक्ति थे जो हमेसा संघर्ष करते रहे और संघर्ष में यकीन करते थे | उन्होंने कभी भी अपने लिए कुछ नहीं किया बल्कि समाज के हित में अपना हित समझते थे, वे हमेसा जाति को ख़त्म करने कि बात करते रहे लेकिन आज अपने हित के लिए तथाकथित प्रतिनिधि जातिवादी राजनीती कर रहे है | और अम्बेडकर जाति को एक बंद वर्ग कहते है वह वर्ग को मानते थे लेकिन उनकी चिंता यह थी कि बिना सामाजिक सुधार के आर्थिक क्रांति नहीं कि जा सकती है,बिना जाति के बंधन से मुक्त हुए वर्ग के रूप में संगठित नहीं हुआ जा सकता | वे संविधान भक्ति का भी विरोध करते है कहते है कि इसे लागू नहीं किया गया तो इस संविधान को जलाने वाला मै पहला व्यक्ति हुंगा |" इस तरह से हमारे साथियों ( संजय भट्टाचार्य,सियाराम,विनोद शंकर,अनिल राम,लालमनी,अजय,मोनिश बब्बर,रामलखन,रोहित,शैलेश ) ने अपनी बात रखी | अंत साथी आनंद की अम्बेडकर पर रचित एक गीत से हुआ | इसके बाद हम सभी लोग विधि संकाय में हो रहे दीप प्रज्वलन में शामिल हो गए |
विषय : आंबेडकर के क्रन्तिकारी विचार
स्थान : ट्रिपल ई कोचिंग (मस्जिद के पास) , छित्तूपुर बीएचयू
दिनांक : १४ अप्रैल २०१४
समय : ४ बे शाम से
No comments:
Post a Comment