रायपुर, 26-27 जुलाई 2014 में पारित प्रस्ताव
गाजा पट्टी में फिलीस्तीनी जनता के खिलाफ इजरायल के साम्राज्यवादी आक्रमण के खिलाफ
एक सार्वभौम देश के रूप में फिलीस्तीनी जनता के अधिकार का समर्थन करो
क्रांतिकारी सांस्कृतिक मंच (आर.सी.एफ.) की अखिल भारतीय कमिटी की बैठक
रायपुर में आयोजित हुई। बैठक में गाजा पट्टी पर यहूदीवादी इजरायल द्वारा
किए गए बर्बर हमले तथा बड़े पैमाने पर मारे जा रहे मासूमों की मौत पर गहन
चिंता व्यक्त की गई।
यह
एक इतिहास का परिहास है कि फिलीस्तीनियों को उनकी शताब्दियों प्राचीन
मातृभूमि से बेदखल कर इजरायल राष्ट्र की स्थापना की गई। 1948 में इजरायल की
स्थापना, संयुक्त राष्ट्र संघ के हस्तक्षेप से हुई। यहूदियों का केवल यही
दावा है कि इजरायल, बाइबल में वर्णित उनकी मातृभूमि है और इसे, खुदा ने उसे
नवाजा है। इतिहास यह बताता है कि यहूदियों को इस इलाके से अरबों ने नहीं
बल्कि रोमनों ने निकाल बाहर किया। इसवी प्रथम सदी में, यहूदियों को इजरायल
से बड़ी संख्या में निकाला गया और 1948 तक बड़ी संख्या में यहूदी, उनके
तथाकथित मातृभूमि से बाहर निवास करते थे।
पश्चिमी
एशिया को अपने नियंत्रण में रखने के लिए साम्राज्यवादियों विशेषकर अमरीका व
ब्रिटेन ने यहूदीवादी (जिओनवादी) मांग को स्वीकार कर एक यहूदीवादी इजरायल
की स्थापना की। जन्म के समय से ही यह एक धार्मिक राज्य है जहां यहूदियों को
प्राथमिकता दी जाती है, तथाकथित ’’वापस लौटने के कानून’’ के द्वारा, कोई
भी, जो एक यहूदी है या किसी यहूदी से शादी हुई है का इजरायल में लौटने का
या बसने का अधिकार है। 1947 के संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के अनुसार
फिलीस्तीन के 55 प्रतिशत भूभाग पर यहूदियों के अधिकार को मान लिया गया
(जबकि उस समय 7 प्रतिशत भूमि पर उनका अधिकार था)। लेकिन इजरायल द्वारा
युद्ध के प्रथम दौर के बाद, 418 अरब गांवों को ध्वस्त कर 77 प्रतिशत भूभाग
पर कब्जा कर लिया गया। 1967 के युद्ध के बाद, फिलीस्तीन के अधिकांश भूभाग
पर उनका नियंत्रण हो गया तथा अधिकांश फिलीस्तीनी शरणार्थी बन गए।
बहरहाल,
शांतिपूर्ण आंदोलनों के असफल होने के बाद फिलीस्तीनी मुक्ति आंदोलन कई बार
हिंसक हो गया, लेकिन योजनाबद्ध और बर्बर यहूदीवादी हिंसा की तुलना
फिलीस्तीनी प्रतिरोध से कतई नहीं की जा सकती। हम सभी यहूदीयों का विरोध और
निंदा नहीं करते बल्कि केवल यहूदीवाद और यहूदीवादी राज्य का विरोध करते
हैं। गाजा की जनता को आज एकताबद्ध प्रतिरोध की जरूरत है। भारत में जहां
इजरायल समर्थक ताकतों का स्वागत किया जाता है और वहीं फिलीस्तीन के समर्थन
में किए गए प्रदर्शनों को पुलिस द्वारा दमन किया जाता है। अभी जो कुछ भी घट
रहा है वह सोच से परे है। संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी प्रस्तावों का
उल्लंघन कर, इजरायल, अमरीका के नेतृत्व वाले साम्राज्यवादी ताकतों के खुले
समर्थन से गाजा पर बमबारी कर रहा है, नागरिक ठिकानों पर मिसाइल, मॉर्टर से
हमले कर बेगुनाह पुरूष, महिला तथा बच्चों की हत्या कर रहा है। इजरायल
द्वारा क्रूर बमबारी तथा जमीनी हमले में आज की तारीख में मरने वालों की
संख्या गाजा में 1100 से भी अधिक हो चुकी है, 5000 से अधिक लोग घायल हैं
तथा दसियों हजार लोग बेघर हो चुके हैं।
हम
विश्व के सारे शांतिकामी जनता से अपील करते हैं कि वे इस यहूदीवादी ताकत
के खिलाफ एकताबद्ध हों और उसे बाध्य करें कि वह अपनी सेना को वापस बुलाए और
फिलीस्तीनी जनता की हत्या करना बंद करे। हम भारत सरकार से मांग करते हैं
कि वह इजरायल की तीव्र निंदा करे तथा उसके साथ समस्त राजनैतिक, कूटनैतिक और
सामरिक संबंध तोड़ दे। हम, भाजपा सरकार द्वारा इजरायल के बर्बर आक्रमण की
तुलना हमास के क्रियाकलापों से करने के कृत्य की, जिसमें यह कहा जा रहा है
कि भारत के इजरायल से मैत्री संबंध हैं, न तो इजरायल की निंदा की जा रही है
और न ही फिलीस्तीन का समर्थन किया जा रहा है कि तीव्र निंदा करते हैं। यह
असल में अमरीका-इजरायल धुरी की सेवा करने वाला प्रतिक्रियावादी अवस्थान है।
क्रांतिकारी
सांस्कृतिक मंच - मजदूरों, महिलाओं, नौजवानों, तमाम उत्पीड़ित वर्ग तथा
शांतिकामी जनता से आह्वान करती है कि वे इजरायली आक्रमण उनके साम्राज्यवादी
समर्थक तथा तमाम साम्राज्यवादी दलालों के खिलाफ प्रतिरोध तेज करें। गाजा
पटट्ी पर इजरायली हमले को रोकें। फिलीस्तीनी जनता के साथ अंतर्राष्ट्रीय
एकता जिंदाबाद।
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