(23 मार्च) भगत सिंह,सुखदेव,राजगुरु व क्रन्तिकारी कवि अवतार सिंह "पाश" की शहादत दिवस की पूर्व शंध्या पर २२ मार्च २०१५ को भगत सिंह छात्र मोर्च (बीसीएम) ने मशाल जुलूस निकाला | और मशाल सांस्कृतिक मंच की तरफ से सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया |
मशाल जुलूस मुख्य द्वार बीएचयू से निकाला गया और यह रविदास गेट होते हुए अस्सी घाट तक गया | जुलूस अस्सी घाट पर पहुंच कर सभा में बदल गया | जुलूस में सैकड़ों छात्र-छात्राएं,नौजवान व बुद्धिजीवी शामिल हुए | जुलूस के दौरान लोगों ने जोशो-खरोश के साथ जमकर नारे लगाये |
जिसमें मुख्य रूप से शहीद भगत सिंह,सुखदेव,राजगुरु अमर रहें !,क्रन्तिकारी कवि अवतार सिंह "पाश" अमर रहें !,वीर शहीदों का पैगाम-जारी रखना है संग्राम !,हर जोर जुल्म के टक्कर में संघर्ष हमारा नारा है !,क्रन्तिकारी शहीदों को लाल सलाम!,काले अंग्रेजों होश में आओ!,विदेशी कंपनियों को मार भगाओ!,साम्राज्यवाद मुर्दाबाद!,इंकलाब ज़िंदाबाद! आदि नारे लगाये गए | बीच-बीच में लोग मेरा रंग दे बसंती चोला जैसे गानों के साथ सडकों पर नाचते-झूमते भी चले जा रहे थे | और मशालों की रोशनी से पूरी सड़क जगमगा रही थी | जुलूस का नेतृत्व आरती , विनोद ,मनीष ,सिद्धांत ने किया |
सभा में संदीप पाण्डेय व चौधरी राजेंद्र ने अपनी बात रखी | इसके बाद मशाल सांस्कृतिक मंच (एमएसएम) ने सांस्कृतिक कार्यक्रम में कुछ क्रांतिकारी गीतों की प्रस्तुति दी | जिसमें आरती ने सूली चढ़ कर वीर भगत ने दुनियां को ललकारा है नींद से जागो ऐ मजदूरो सारा देश तुम्हारा है,हेमंत ने ऐ भगत सिंह तू ज़िंदा है हर एक लहू के कतरे में, स्वाती-धीरज ने मेरा रंग दे बसंती चोला, शैलेश ने भारत अपनी महान भूमि और युद्धेष ने सरफ़रोशी की तमन्ना व अपने लिए जिए तो क्या जिए तू जी ऐ दिल ज़माने के लिए गाया | इसका सञ्चालन हेमंत ने किया |
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