आज 23 मार्च भगत सिंह,सुखदेव,राजगुरु एवं पाश के शहादत दिवस पर एक संगोष्ठी का आयोजन"भगत सिंह छात्र मोर्चा" के बैनर तले राधाकृष्णन सभागार, बी.एच.यू के कला संकाय में हुआ।इस कार्यक्रम की शुरुआत क्रांतिकारी गीत-सूली चढ़ कर वीर भगत ने दुनिया को ललकारा है से हुआ।
वक्ता के रूप में प्रो. डी.के.ओझा ने भगत सिंह को इतिहास में खोजा और पाया की भगत सिंह एक मानवतावादी,आधुनिकतावादी,और एक क्रांतिकारी थे। आज के हालात पे चर्चा किया ।साथ की साथ प्रो.प्रमोद बागडे ने बताया की भारत का फासीवाद यूरोपीय फासीवाद से अलग है। यहाँ का फासीवाद धर्मिक रूप में है जो ब्राह्मणवादी फासीवाद के रूप अपने आप को व्यक्त करता है। उन्होंने भारत में भगत सिंह को बाकी रुढ़िवादी कम्युनिस्टों से अलग बताया और कहाँ की भगत सिंह 23 साल के जरुर थे पर उनके पास दुनिया को बेहतर बनाने का एक बेहतर दर्शन था। शोध छात्र- गौरव पाण्डेय ने विस्तार में भूमंडलीकरण को समझया की किस तरह वो हम बाज़ार में धकेल रहा है।साथ ही साथ इनका भी जोर फासीवाद पे रहा और इन्होने सांस्कृतिक फासीवाद को समझाया। अंत में रितेश विद्यार्थी ने बी.एच.यू को अपने अनुभव को साझा करते हुए बताया किस तरह पिछले 8 सालो में दुनिया और देश की राजनीति बदली जिसका परिणाम हुआ की भगत सिंह छात्र मोर्चा जैसे पुरे भारत में बने है।साथ ही उन्होंने देश और समाज को बदले के तरीके के रूप में भगत सिंह के बताये रास्ते को ही अपनाने को कहा। छात्रों- नौजवानों को गाँव-किसान-मजदूरों से जुड़ना चाहिए।अंकित साहिर,अंकित भास्कर,अभय,विनय,वरुण आदि ने भी संक्षिप्त में अपनी बात रखी। अंत में युद्देश बेमिशाल,आरती,आकांक्षा,शाश्वत,शुभम,जागृती,
मृतुन्जय ने मिलकर क्रांतिकारी गीत गए और संगोष्ठी को समाप्त किया। संचालन मुकुल और अनुपम ने किया।
भगत सिंह छात्र मोर्चा।
7317557056
इन्कलाब जिंदाबाद!
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