1 मई 2020
आज 1 मई मजदूर दिवस के अवसर पर भगत सिंह छात्र मोर्चा ने एक ऑनलाइन परिचर्चा का आयोजन किया। जिसका विषय था - वर्तमान समय में मजदूरों के स्थिति। इस परिचर्चा में मुख्य वक्ता ट्रेड यूनियन के नेता रहे श्री प्रकाश राय जी थे। जिसमें उन्होंने कहा ही दुनिया का निर्माता मजदूर है। आज देश में जो इन मजदूरों की हालत है उसके लिए जिम्मेदार ये पूंजीवादी ढांचा है। देश की व्यवस्था पूंजीवादी प्रणाली से चल रही जिसका मकसद ही मुनाफा कमाना है। तो हम ऐसे सरकार या व्यवस्था में मजदूरों की भलाई की आशा कैसे कर सकते हैं। गोदामों में अनाज़ सड़ रहे हैं, आज़ादी के 70 साल बाद भी सरकार के पास इन अनाजों को रखने के लिए पर्याप्त गोदाम भी नहीं है। वही दूसरी ओर देश का मजदूर भूखों मर रहा है। असलियत में यही पूंजीवाद है जो अनाज़ और पर्याप्त संसाधन होते हुए भी वो इन मजदूरों को इसलिए मरने देता है क्योंकि अगर उसने फ्री में ये अनाज़ बांट दिया तो मुनाफा नही हो गया। इसलिए आज हमको सरकार नहीं व्यवस्था बदलने की लड़ाई लड़नी चाहिए। मजदूरों के सबसे बड़े नेता कार्ल मार्क्स ने जो हमे "द्वंदात्मक भौतिकवाद" रूपी हथियार दिया है । इसी हथियार के माध्यम से हम मजदूर राज कायम कर मजदूरों को मुक्त करा सकते हैं, जो पहले सोवियत रूस और चीन में हो चुका है। दुनिया को समझने का दर्शन तो बहुत से दार्शनिको ने दिया था लेकिन पहली बार कार्ल मार्क्स ने इस शोषण पर टिकी व्यवस्था कोबदले का दर्शन दिया। आज मई दिवस पर हम सबको इतिहास से सिख कर मुकम्मल लड़ाई लड़नी के लिए आगे आना होगा । ऐपवा से कुसुम वर्मा ने इसमें महिलाओं के महत्वपूर्ण योग्यदान को जोड़ा और बताया की कैसे महिलाओं के श्रम का हिसाब नहीं किया जाता है। साथ ही साथ महिला नेत्री कालरा जेटकिन और रोज़ा लग्जमबर्ग को याद करते हुए उनके योग्यदान से प्रेरणा लेने की बात कही।उन्होंने कहा की लगभग सभी महिलाएं मजदूर की श्रेणी में आती हैं, जिसका की उनको श्रम का हिसाब नहीम दिया जाता है। और अंतर्राष्ट्रीय मजदूर आंदोलन में महिलाओं के योग्यदान को नही भूलना चहिये। भगत सिंह छात्र मोर्चा से आयुषि ने आगे जोड़ते हुए कहा की इस कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन से सबसे ज्यादा प्रभावित मजदूर वर्ग ही है। जाहिर है मजदूर वर्ग में व्यवस्था परिवर्तन के लिए गुस्सा उबल है और वो लॉकडाउन के खुलने पर एक व्यपाक आंदोलन में न बदल जाय। इसलिए आज बीजेपी सरकार इस महामारी में भी जनता के नेताओं को UAPA और NSA जैसे काले कानूनों को लगाकर जेलों में डाल रही है ताकि मजदूरों को नेतृत्व देने वाला कोई न बचे। इसलिए हम सभी के पास इस विपरीत समय में एक अच्छा अवसर भी है हम इन मजदूरों के बीच जायँ और इनको व्यवस्था परिवर्तन के लिए गोलबंद करें। इस परिचर्चा का संचालन शुभम आहाके ने किया और उनके ही द्वारा मजदुरो के जीवन जुड़ा हुआ गीत प्रस्तुत किया गया- "धरती को सोना बनाने वाले भाई रे,मिट्टी से हीरा उगाने वाले भाई रे" । इस परिचर्चा में शशिकांत,लोकेश,अनुपम,शिवम आदि ने भी अपनी बातें रखी।
अनुपम
सचिव(भगतसिंह छात्र मोर्चा)
आज 1 मई मजदूर दिवस के अवसर पर भगत सिंह छात्र मोर्चा ने एक ऑनलाइन परिचर्चा का आयोजन किया। जिसका विषय था - वर्तमान समय में मजदूरों के स्थिति। इस परिचर्चा में मुख्य वक्ता ट्रेड यूनियन के नेता रहे श्री प्रकाश राय जी थे। जिसमें उन्होंने कहा ही दुनिया का निर्माता मजदूर है। आज देश में जो इन मजदूरों की हालत है उसके लिए जिम्मेदार ये पूंजीवादी ढांचा है। देश की व्यवस्था पूंजीवादी प्रणाली से चल रही जिसका मकसद ही मुनाफा कमाना है। तो हम ऐसे सरकार या व्यवस्था में मजदूरों की भलाई की आशा कैसे कर सकते हैं। गोदामों में अनाज़ सड़ रहे हैं, आज़ादी के 70 साल बाद भी सरकार के पास इन अनाजों को रखने के लिए पर्याप्त गोदाम भी नहीं है। वही दूसरी ओर देश का मजदूर भूखों मर रहा है। असलियत में यही पूंजीवाद है जो अनाज़ और पर्याप्त संसाधन होते हुए भी वो इन मजदूरों को इसलिए मरने देता है क्योंकि अगर उसने फ्री में ये अनाज़ बांट दिया तो मुनाफा नही हो गया। इसलिए आज हमको सरकार नहीं व्यवस्था बदलने की लड़ाई लड़नी चाहिए। मजदूरों के सबसे बड़े नेता कार्ल मार्क्स ने जो हमे "द्वंदात्मक भौतिकवाद" रूपी हथियार दिया है । इसी हथियार के माध्यम से हम मजदूर राज कायम कर मजदूरों को मुक्त करा सकते हैं, जो पहले सोवियत रूस और चीन में हो चुका है। दुनिया को समझने का दर्शन तो बहुत से दार्शनिको ने दिया था लेकिन पहली बार कार्ल मार्क्स ने इस शोषण पर टिकी व्यवस्था कोबदले का दर्शन दिया। आज मई दिवस पर हम सबको इतिहास से सिख कर मुकम्मल लड़ाई लड़नी के लिए आगे आना होगा । ऐपवा से कुसुम वर्मा ने इसमें महिलाओं के महत्वपूर्ण योग्यदान को जोड़ा और बताया की कैसे महिलाओं के श्रम का हिसाब नहीं किया जाता है। साथ ही साथ महिला नेत्री कालरा जेटकिन और रोज़ा लग्जमबर्ग को याद करते हुए उनके योग्यदान से प्रेरणा लेने की बात कही।उन्होंने कहा की लगभग सभी महिलाएं मजदूर की श्रेणी में आती हैं, जिसका की उनको श्रम का हिसाब नहीम दिया जाता है। और अंतर्राष्ट्रीय मजदूर आंदोलन में महिलाओं के योग्यदान को नही भूलना चहिये। भगत सिंह छात्र मोर्चा से आयुषि ने आगे जोड़ते हुए कहा की इस कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन से सबसे ज्यादा प्रभावित मजदूर वर्ग ही है। जाहिर है मजदूर वर्ग में व्यवस्था परिवर्तन के लिए गुस्सा उबल है और वो लॉकडाउन के खुलने पर एक व्यपाक आंदोलन में न बदल जाय। इसलिए आज बीजेपी सरकार इस महामारी में भी जनता के नेताओं को UAPA और NSA जैसे काले कानूनों को लगाकर जेलों में डाल रही है ताकि मजदूरों को नेतृत्व देने वाला कोई न बचे। इसलिए हम सभी के पास इस विपरीत समय में एक अच्छा अवसर भी है हम इन मजदूरों के बीच जायँ और इनको व्यवस्था परिवर्तन के लिए गोलबंद करें। इस परिचर्चा का संचालन शुभम आहाके ने किया और उनके ही द्वारा मजदुरो के जीवन जुड़ा हुआ गीत प्रस्तुत किया गया- "धरती को सोना बनाने वाले भाई रे,मिट्टी से हीरा उगाने वाले भाई रे" । इस परिचर्चा में शशिकांत,लोकेश,अनुपम,शिवम आदि ने भी अपनी बातें रखी।
अनुपम
सचिव(भगतसिंह छात्र मोर्चा)
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