एक मास्टर की मौत
पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में छपा
मास्टर की मौत दम घुटने से हुई
मगर किसी ने उसे एकाएक मरते नहीं देखा
वह एक धीमी मौत मरा
पहली बार वह तब मरा
जब उसे महसूस हुआ
की पढ़ाने से ज्यादा जरूरी है
पढाने के सबूत जमा करना
फाइलों में पन्नों की संख्या बढ़ाना
मास्टर होने से ज्यादा जरूरी है
कार्यालय का बाबु होना
फिर थोड़ा थोड़ा करके हर रोज वह मरा
आँकड़ो और कागज़ों में दबकर
उसे याद नही रहा आखिरी बार उसने
कोई किताब कब पढ़ी
कोई नई चीज़ कब सीखी
वह मरा जब उसने पढ़ना बन्द कर दिया
वह मरा जब उसने सीखना बन्द कर दिया
कई बार वह मरा जब उसने गलत पढ़ाया
कई बार वह पढाने का अभिनय करते हुए मरा
फ्रांस और रूस की क्रांति पढ़ाते हुए भी वह मरा
जब गुलाम बने रहकर उसने आज़ादी, बराबरी की बाते की
और मौलिक अधिकार पढ़ाते हुए भी वह मरा
एक बेगार की मौत
देखने वालों ने कहा मास्टर ने आत्महत्या की
जानने वालों ने कहा मास्टर की हत्या हुई।
अंकित साहिर
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