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उठो प्रबुद्ध पीढ़ियों ,प्रबुद्ध नौज़वां उठो
लुटे- पिटे अवाम की प्रबुद्ध चेतना उठो
उठो की देश बिक गया, फिरंगियों के हाँथ में
उठो निज़ाम मिल गया है वहशियों के साथ में
उठो की लूट मच रही है ,लूट गए धरा -गगन
लुटी हवा, लुटा है जल, लुटी हमारी अस्मिता
लुटे खनिज, लुटी हमारी जंगलों की सम्पदा
लुटे युवा, लुटी हमारी पीढ़ियों की सभ्यता
कि लूट के खिलाफ देश की अवाम एक हो
किसान और मजदूर छात्र- नौजवान एक हो
कि उठ खड़ा हो देश तोड़ दासता की बेड़ियाँ
कि एक हो सपन की राहें -मंजिलें भी एक हों
कि एक हो उठो निज़ाम का नकाब चीर दो
कि तोड़ दो स्वतंत्रता का चल रहा ढ़कोसला
उठो कि लोकतंत्र की उघाड़ दो वो चादरें
छुपा है जिनकी आड़ में निरंकुशों का घोसला
उठो कि मीरजाफरों की सजिशों को तोड़ दो
उठो कि उनके मालिकों के बाँह भी मरोड़ दो
जो जंग आज सामने है देश के अवाम के
उठो समूची ताकतों को उसकी ओर मोड़ दो।
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