आजाद देशों की समस्या गरीबी नहीं होती है
भूखमरी नहीं होती है
बेरोजगारी नहीं होती है
यह तो गुलाम देशों की समस्या है
अगर भारत में यह समस्या है तो भारत गुलाम है
अगर अफ्रीका में यह समस्या है तो अफ्रीका गुलम है
अगर दुनिया में यह समस्या है तो दुनिया गुलाम है
फिर भी इसे आजाद कहा जा रहा है
तो समझो यह अब तक की सबसे बड़ी साजिस है
जिसमे शामिल है दुनिया भर के बड़े लेखक और कवि
जो शब्दों के अर्थ बदलने में लगे है
जिसमे छिपी है अब भी चिंगारी
जिन से आग लगने का डर अब भी बना हुआ है
जिसे बदल देना चाहते है आज की लोकतंत्र और आज़ादी में
जिसे हमें कभी स्वीकार नहीं करना है
यह तो गुलामी की नयी जंजीरे है
जिसे एक बार फिर हमें लोकतंत्र के नाम पर पहना दिया गया है
ताकि इसी बहाने कायम किया जा सके
आदमी का आदमी से शोषण
सही ठहराया जा सके लोकतंत्र के नाम पर पूंजीवाद का शासन
पर हमारा सपना तो समाजवाद से साम्यवाद है
जिसके लिए समर्पित है जीवन।
- विनोद शंकर
भूखमरी नहीं होती है
बेरोजगारी नहीं होती है
यह तो गुलाम देशों की समस्या है
अगर भारत में यह समस्या है तो भारत गुलाम है
अगर अफ्रीका में यह समस्या है तो अफ्रीका गुलम है
अगर दुनिया में यह समस्या है तो दुनिया गुलाम है
फिर भी इसे आजाद कहा जा रहा है
तो समझो यह अब तक की सबसे बड़ी साजिस है
जिसमे शामिल है दुनिया भर के बड़े लेखक और कवि
जो शब्दों के अर्थ बदलने में लगे है
जिसमे छिपी है अब भी चिंगारी
जिन से आग लगने का डर अब भी बना हुआ है
जिसे बदल देना चाहते है आज की लोकतंत्र और आज़ादी में
जिसे हमें कभी स्वीकार नहीं करना है
यह तो गुलामी की नयी जंजीरे है
जिसे एक बार फिर हमें लोकतंत्र के नाम पर पहना दिया गया है
ताकि इसी बहाने कायम किया जा सके
आदमी का आदमी से शोषण
सही ठहराया जा सके लोकतंत्र के नाम पर पूंजीवाद का शासन
पर हमारा सपना तो समाजवाद से साम्यवाद है
जिसके लिए समर्पित है जीवन।
- विनोद शंकर
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