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Thursday, August 29, 2013

कामरेड हेम मिश्रा की गिरफ़्तारी पर परचा :

      हेम मिश्रा,पांडू नारोटे और महेश तिर्की को तत्काल रिहा करो !      
         बुद्धिजीवियों एवं संस्कृतिकर्मियों पर दमन बंद करो!!

गढ़चिरौली की अहेरी पुलिस द्वारा रिवोल्यूशनरी कल्चरल फ्रंट (आरसीएफ) और जेएनयू के संस्कृतिकर्मी  साथी  हेम मिश्रा की  गिरफ्तारी और उन्हें पुलिस रिमांड पर भेजे जाने का  का विरोध करें   


साथियों ,
            यह कितना शर्मनाक है कि हम एक ऐसी व्यवस्था को बर्दाश्त किये हुए हैं जहाँ सांप्रदायिक हत्यारों एवं जनसंहारों के अपराधी जगदीश टाइटलर व नरेन्द्र मोदी जैसे लोग और कारपोरेट घोटालेबाज ,लूटेरे ,बलात्कारी ,बाहुबली  ,माफिया जिन्हें जेल की  चहारदिवारी के पीछे होना चाहिए वो खुल्लमखुल्ला घूम रहे हैं ,उन्हें जमानत मिल जा रही है ,वे सत्ता की शोभा बढ़ा रहे हैं ,सम्मानित हो रहे हैं,देशभक्ति के तमगे पा रहे हैं ,वहीं जनता के हक़-हुकूक की आवाज उठाने वाले ,जुल्म और शोषण के खिलाफ सर उठा कर चलने वाले ,उसका विरोध करने वाले, जेलों में ठूँस दिए जा रहे हैं ,उन्हें आजीवन कारावास दिया जा रहा है | आज ऐसे ही हजारों जनपक्षधर कार्यकर्ताओं से भारत की जेलें भरी पड़ी हैं | इन्हीं में से एक हैं हेम मिश्रा ,पांडू नारोटे और महेश तिर्की जिन्हें पिछले सप्ताह महाराष्ट्र पुलिस ने गिरफ्तार कर तीन दिन के अवैध हिरासत में रखा |  बाद में उन्हें' नक्सली कुरियर' बताकर कोर्ट में पेश किया गया | जहाँ से कोर्ट ने उन्हें दस दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया | संस्कृतिकर्मी हेम मिश्रा की गिरफ्तारी ने एक बार फिर भारतीय राज्य के फांसीवादी चरित्र को स्पष्ट कर दिया है । 
 

          हेम मिश्रा उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा जिले के धौला देवी क्षेत्र के बाणी-छीना नगरखान निवासी हैं, वे रिवोल्यूशनरी कल्चरल फ्रंट के सक्रिय कार्यकर्ता हैं और  जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में चीनी भाषा  के छात्र  हैं । हेम मिश्रा एक फिल्मकार भी हैं, और उन्होंने उत्तराखण्ड में विस्थापन और प्रकृति के दोहन को लेकर ‘इन्द्रधनुष उदास है’ नामक फिल्म भी बनाई है । वे अपने दर्जनों गीतों और नाटकों के माध्यम से मौजूदा शासक वर्ग के जन-विरोधी, दलित, आदिवासी एवं अल्पसंख्यक विरोधी चरित्र को भी उजागर करते रहे हैं।  वे साम्राज्यवाद, सामंतवाद एवं ब्राह्मणवाद के गठजोड़ का पर्दाफाश करते रहे हैं | सच्चाई यह है कि उन्हें गढ़चिरौली की अहेरी पुलिस द्वारा  उस समय गिरफ्तार कर लिया गया, जब वे महाराष्ट्र के प्रख्यात गांधीवादी प्रकाश आम्टे के अस्पताल में अपने हाथ का इलाज करवाने गये थे। उनके साथ दो अन्य लोगों पांडू नारोटे और महेश तिर्की को भी गिरफ्तार किया गया है । हेम की गिरफ़्तारी की सूचना 23 अगस्त को मिली | लेकिन डेमोक्रेटिक स्टूडेन्ट यूनियन (डीएसयू) की कार्यकारिणी सदस्य बानोज्योत्सना लाहिरी का कहना है कि हेम कि गिरफ्तारी 3 दिन पहले ही हो गयी थी क्योंकि सम्पर्क करने पर उनका फोन बंद बता रहा था। उनसे मिलने गये उनके वकील और परिवार के  सदस्यों  को भी उनसे मिलने नहीं दिया गया ।

     आज जब देश में हर तरफ जनता अन्याय ,अत्याचार और शोषण के खिलाफ  गोलबंद हो रही है तब भारतीय राज्य उसके पक्ष में आवाज़ उठाने वाले बुद्धिजीवियों एवं संस्कृतिकर्मियों पर हमले तेज कर रहा है | ताकि उनके अन्दर भय का माहौल बनाया जा सके | इस कड़ी में अब तक उसने डॉ0 विनायक सेन और कबीर कला मंच के कलाकारों के अलावा विद्रोही पत्रिका के सम्पादक सुधीर धवले,  अरूण फरेरा, सोनी सोरी, लिगांराम कोड़ोपी, दयामनी बारला, जीतन मरांडी, अपर्णा मंराडी, उत्पल बास्के, सीमा आजाद , विश्वविजय, प्रशांत राही, कवंल भारती आदि को गिरफ्तार कर चुकी है | इनमे से  कई  लोगों  को तो कई सालों तक जेलों  में  बंद  करके भीषण  यातनायें भी दी गयी हैं  |
      लेकिन इतिहास गवाह है कि दमन कि इन्तहां संघर्ष कि धार को और पैना कर देती है | मशाल सांस्कृतिक मंच और भगत सिंह छात्र मोर्चा महाराष्ट्र पुलिस की इस क्रूरतम कार्यवाही की कड़े शब्दों में निंदा करता है तथा हेम मिश्रा,पांडू नारोटे और महेश तिर्की की तत्काल रिहाई की मांग करता है।

क्रांतिकारी अभिवादन सहित -

मशाल सांस्कृतिक मंच, भगत सिंह छात्र मोर्चा (बीसीएम)           

     

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