हाशिया ब्लॉग से साभार ................
कल (11 मई) जंतर मंतर पर हुए विरोध
प्रदर्शन की यह रिपोर्ट पोस्ट करते हुए एक दुखद सूचना यह भी है कि एक
शिकायतकर्ता किशोरी के चाचा ने अपने गांव लौट कर आत्महत्या करने की कोशिश
की है. वे आज सुबह पांच बजे अचानक भगाणा के लिए निकल गये थे। गांव में ही
उन्होंने दोपहर बाद दो बजे कीटनाशक खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की।
उन्हें पहले हांसी हॉस्पीटल में एडमिट करवाया गया, जहां से चिकित्सकों
ने उन्हें रोहतक अस्पताल में रेफर कर दिया है। उनकी स्थिति नाजुक बनी हुई
है। गांव वालों का कहना है कि आत्महत्या से पहले वे कह रहे थे कि इज्जत
तो चली गयी, अब क्या बच गया है। कहीं से कुछ नहीं मिलने वाला है।
नई दिल्ली, 11 मई। हरियाणा के भगाणा गांव में सामूहिक बलात्कार की शिकार हुई चार नाबालिगों के हक में न्याय की मांग के समर्थन में आज शिकायतकर्ताओं के साथ भारी संख्या में दिल्ली के सामाजिक कार्यकता, बुद्धिजीवी और विद्यार्थी भी जुटे। यहां दिल्ली में पंत मार्ग पर स्थित हरियाणा के मुख्यमंत्री आवास पर धरना देते हुए आंदोलनकारियों ने शिकायतकर्ताओं के प्रति हरियाणा सरकार के रवैए की तीखी आलोचना की और कहा कि ऐसा लगता है कि हरियाणा सरकार सामंती उत्पीड़नकर्ताओं के पक्ष में खड़ी हो गई है और दलितों-पीड़ितों की आवाज को जानबूझ कर दफन किया जा रहा है। बड़े पैमाने पर जुटे लोगों ने यहां दिल्ली में सरकार और प्रशासन से यह मांग की कि पीड़ितों पर जुल्म ढाने वाले दोषियों को सख्त सजा दी जाए और फास्ट ट्रैक अदालतों का गठन कर शिकायतकर्ताओं को जल्द से जल्द इंसाफ दिलाई जाए।
आंदोलनकारी हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुडा से मिलना चाहते थे, लेकिन भारी संख्या में पुलिस बल ने बैरिकेड लगाकर उन्हें रोक दिया। इसके बाद आंदोलनकारियों ने अपने विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस के कई बैरिकेड तोड़ डाले और आक्रोश से भर कर वहीं हरियाणा सरकार और पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारे लगाए। जब आंदोलनकारियों का गुस्सा नहीं थमा तो उनमें से दस लोगों के प्रतिनिधिमंडल को हरियाणा के मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव सुरेंद्र दहिया से बातचीत के लिए बुलाया, लेकिन उन्हें कार्रवाई का भरोसा नहीं दिया। इस पर आंदोलनकारियों का गुस्सा और क्षोभ और बढ़ गया तब फिर दुबारा सात लोगों के प्रतिनिधिमंडल को बुलाया गया, जिसने सुरेंद्र दहिया के सामने जोरदार तरीके से हरियाणा और खासकर भगाणा में दलितों पर होने वाले अत्याचारों का ब्योरा दिया और जल्द कानूनी कार्रवाई करने के साथ-साथ पीड़ितों को मुआवजा देने और उनके पुनर्वास की मांग की। इसके बाद राजनीतिक सचिव की ओर से अगले बहत्तर घंटों के भीतर मांगों पर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया गया।
विरोध प्रदर्शन के दौरान वक्ताओं ने भगाणा की किशोरियों के सामूहिक बलात्कार में शामिल अपराधियों को संरक्षण देने वाले गांव के सरपंच और उसके साथियों को भी तत्काल गिरफ्तार करने की मांग की। भगाणा कांड सघर्ष समिति के प्रवक्ता जगदीश काजला ने कहा कि भगाणा की इन शिकायतकर्ता बच्चियों और परिवारों के साथ हुई यह घटना हरियाणा में दबंगों के आतंक की एक छोटी बानगी है। काजला ने कहा कि जिस गांव में दबंगों ने दलित परिवारों का सम्मान से जीना असंभव कर दिया है, वे वहां लौटना चाहते, इसलिए उन्हें वहां से अलग बसाने की व्यवस्था की जाए। शिकायतकर्ता बच्चियों में से एक की मां सोना ने कहा कि हरियाणा में हमें इंसाफ नहीं मिला तो हम दिल्ली के जंतर मंतर पर आए कि यहां हमारी आवाज सुनी जाएगी, लेकिन अब एक महीने होने जा रहा है, आज तक केंद्र सरकार या दिल्ली या फिर हरियाणा के प्रशासन या किसी नेता ने हमारा दुख समझने और यहां तक बात करने तक की भी कोशिश नहीं की। सोना ने आगे कहा कि हम देश और प्रशासन से पूछना चाहते हैं कि क्या दलितों का कोई सम्मान नहीं होता, उनकी बेटियां क्या बेटी नहीं होती हैं?
भगाणा गांव की एक वृद्ध महिलाए गुड्डी ने कहा कि जिन बच्चियों के साथ बलात्कार हुआ, उनके सम्मान और गरिमा के खिलाफ अपराध हुआ, वे खुद दिल्ली के जंतर मंतर पर न्याय की आस में बैठी है, लेकिन केंद्र या राज्य सरकार या किसी भी प्रशासन को इनकी बात सुनने की जरूरत महसूस नहीं हुई। विरोध प्रदर्शन के आखिर में भगाणा कांड संघर्ष समिति ने कहा है कि अगर इस मामले में शिकायतकर्ताओं के साथ न्याय नहीं हुआ, तो हम देशव्यापी आंदोलन छेड़ने के लिए तैयार हैं।
भगाणा कांड संघर्ष समिति
जगदीश काजला
09812034593
नई दिल्ली, 11 मई। हरियाणा के भगाणा गांव में सामूहिक बलात्कार की शिकार हुई चार नाबालिगों के हक में न्याय की मांग के समर्थन में आज शिकायतकर्ताओं के साथ भारी संख्या में दिल्ली के सामाजिक कार्यकता, बुद्धिजीवी और विद्यार्थी भी जुटे। यहां दिल्ली में पंत मार्ग पर स्थित हरियाणा के मुख्यमंत्री आवास पर धरना देते हुए आंदोलनकारियों ने शिकायतकर्ताओं के प्रति हरियाणा सरकार के रवैए की तीखी आलोचना की और कहा कि ऐसा लगता है कि हरियाणा सरकार सामंती उत्पीड़नकर्ताओं के पक्ष में खड़ी हो गई है और दलितों-पीड़ितों की आवाज को जानबूझ कर दफन किया जा रहा है। बड़े पैमाने पर जुटे लोगों ने यहां दिल्ली में सरकार और प्रशासन से यह मांग की कि पीड़ितों पर जुल्म ढाने वाले दोषियों को सख्त सजा दी जाए और फास्ट ट्रैक अदालतों का गठन कर शिकायतकर्ताओं को जल्द से जल्द इंसाफ दिलाई जाए।
आंदोलनकारी हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुडा से मिलना चाहते थे, लेकिन भारी संख्या में पुलिस बल ने बैरिकेड लगाकर उन्हें रोक दिया। इसके बाद आंदोलनकारियों ने अपने विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस के कई बैरिकेड तोड़ डाले और आक्रोश से भर कर वहीं हरियाणा सरकार और पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारे लगाए। जब आंदोलनकारियों का गुस्सा नहीं थमा तो उनमें से दस लोगों के प्रतिनिधिमंडल को हरियाणा के मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव सुरेंद्र दहिया से बातचीत के लिए बुलाया, लेकिन उन्हें कार्रवाई का भरोसा नहीं दिया। इस पर आंदोलनकारियों का गुस्सा और क्षोभ और बढ़ गया तब फिर दुबारा सात लोगों के प्रतिनिधिमंडल को बुलाया गया, जिसने सुरेंद्र दहिया के सामने जोरदार तरीके से हरियाणा और खासकर भगाणा में दलितों पर होने वाले अत्याचारों का ब्योरा दिया और जल्द कानूनी कार्रवाई करने के साथ-साथ पीड़ितों को मुआवजा देने और उनके पुनर्वास की मांग की। इसके बाद राजनीतिक सचिव की ओर से अगले बहत्तर घंटों के भीतर मांगों पर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया गया।
विरोध प्रदर्शन के दौरान वक्ताओं ने भगाणा की किशोरियों के सामूहिक बलात्कार में शामिल अपराधियों को संरक्षण देने वाले गांव के सरपंच और उसके साथियों को भी तत्काल गिरफ्तार करने की मांग की। भगाणा कांड सघर्ष समिति के प्रवक्ता जगदीश काजला ने कहा कि भगाणा की इन शिकायतकर्ता बच्चियों और परिवारों के साथ हुई यह घटना हरियाणा में दबंगों के आतंक की एक छोटी बानगी है। काजला ने कहा कि जिस गांव में दबंगों ने दलित परिवारों का सम्मान से जीना असंभव कर दिया है, वे वहां लौटना चाहते, इसलिए उन्हें वहां से अलग बसाने की व्यवस्था की जाए। शिकायतकर्ता बच्चियों में से एक की मां सोना ने कहा कि हरियाणा में हमें इंसाफ नहीं मिला तो हम दिल्ली के जंतर मंतर पर आए कि यहां हमारी आवाज सुनी जाएगी, लेकिन अब एक महीने होने जा रहा है, आज तक केंद्र सरकार या दिल्ली या फिर हरियाणा के प्रशासन या किसी नेता ने हमारा दुख समझने और यहां तक बात करने तक की भी कोशिश नहीं की। सोना ने आगे कहा कि हम देश और प्रशासन से पूछना चाहते हैं कि क्या दलितों का कोई सम्मान नहीं होता, उनकी बेटियां क्या बेटी नहीं होती हैं?
भगाणा गांव की एक वृद्ध महिलाए गुड्डी ने कहा कि जिन बच्चियों के साथ बलात्कार हुआ, उनके सम्मान और गरिमा के खिलाफ अपराध हुआ, वे खुद दिल्ली के जंतर मंतर पर न्याय की आस में बैठी है, लेकिन केंद्र या राज्य सरकार या किसी भी प्रशासन को इनकी बात सुनने की जरूरत महसूस नहीं हुई। विरोध प्रदर्शन के आखिर में भगाणा कांड संघर्ष समिति ने कहा है कि अगर इस मामले में शिकायतकर्ताओं के साथ न्याय नहीं हुआ, तो हम देशव्यापी आंदोलन छेड़ने के लिए तैयार हैं।
भगाणा कांड संघर्ष समिति
जगदीश काजला
09812034593
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