छात्रसंघ बहाली को लेकर भगत सिंह छात्र मोर्चा ,एनएसयूआई ,समाजवादी छात्र सभा लोकतंत्र बहाली संघर्ष मोर्चा के संयुक्त बैनर तले दिनांक १२ अक्टूबर २०१४ को छात्र परिषद भवन पर अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठ गए । और यह अनशन लगातार पांच दिन तक चला , जिसमें ११ छात्र अनशन थे बीसीएम से शैलेश और दिवेश थे । इन पांच दिनों के दौरान इस मोर्चे को छात्राओं ,कर्मचारियों,भूतपूर्व छात्र नेताओं ,प्रोफेसरों व अन्य विश्यविद्यलयों का भी समर्थन मिला । और दो छात्रों की हालत भी गंभीर हो गयी ।
विश्वविद्यालय प्रशासन इस दौरान अनशनरत छात्रों को कई बार भरमाने की कोशिश करता रहा । कभी नोटिफिकेसन में छात्र चुनाव बात करता,कभी छात्र परिषद का नाम या उस शब्द को बदलने के लिए कहता तो कभी कमेटी गठित की बात करता । लेकिन हमारी मांगे थी पूर्णतः अर्थात मुकम्मल छात्रसंघ जिसमें प्रत्यक्ष चुनाव हो । प्रशासन यह दुहाई देता रहा कि अगर छात्र संघ चुनाव कराया जायेगा तो उसे ईसी, वीसी से पास करना पड़ेगा और वह अभी गठित नहीं है । हाईकोर्ट के अनुसार समय पर चुनाव हो जाने चाहिए जिसको ध्यान में रखकर छात्र परिषद चुनाव कराया जायेगा ।
इन सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखकर मोर्चा ने यह प्रस्ताव रखा कि केवल नाम या शब्द से काम नहीं चलेगा ढाचा वाही रहेगा तो कोई मतलब नहीं बल्कि सभी पदों पर प्रत्यक्ष चुनाव कराये जाये । और चुनाव स्पष्ट शब्दों में छात्र संघ (student union ) का हो जो अध्यक्षीय माडल पर हो । जो कमेटी गठित हो वह इसलिए नहीं की छात्रसंघ होगा कि की नहीं बल्कि इसलिए कि छात्रसंघ कैसा होगा इस पर सुझाव मांगने व विचार करने के लिए हो । और उस कमेटी में निर्णय की प्रक्रिया में छात्रों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए हर छात्र संगठनों के तीन -तीन प्रतिनिधियों को शामिल किया जाये ।
इस पर प्रशासन ने आंदोलन को बढ़ता देख कर हमारी माँगो को मानने पर मजबूर हुआ और एक नोटिफिकेसन जारी कर यह कहा कि छत्रसंघ चुनाव के लिए एक कमेटी गठित करेगा जिसमे छात्र संगठनो की भागीदारी होगी और यह कमेटी तीन महीने के अंदर रिपोर्ट देगी जिसे पास कराकर अगले सत्र में चुनाव कराएगी । इस सत्र में छात्र-परिषद का चुनाव होगा ।
मोर्चा ने इस सत्र के चुनाव को नामंजूर करते हुए संयुक्त रूप से यह सार्वजनिक घोषणा की कि इस चुनाव का बहिष्कार किया जायेगा । मोर्चा यह कहते हुए कि हमारा यह आंदोलन नहीं हो रहा है बल्कि स्थगित किया जा रहा है जब हमारी मांगे पूरी नहीं होगी तो हमारा आंदोलन फिर सुरु होगा । यह कहते हुए मोर्चा ने मैग्सेसे पुरस्कार विजेता सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पाण्डेय के हाथों जूस पीकर अनशन तोड़ा ।
इस दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद नामक संगठन एक दिन पहले ही अलग से आमरण अनशन पर बैठ गया था और यह खुशफहमी पाले रखा था कि १४ को मोदी आएंगे और हम उनसे अपनी मांगे मनवाकर अनशन समाप्त करेंगे और छत्रसंघ बहाली का सारा श्रेय ले जायेंगे । लेकिन हुआ उल्टा उन्होंने मोदी के न आने पर हड़बड़ा कर छात्र परिषद पर सहमति देकर अपने अनशन की समाप्ति कर दी और प्रशासन की दलाली करते हुए हो-हल्ला मचाया कि छात्र- संघ बहाल हो गया । जबकि मोर्चे का अनशन उसके दो दिन बाद तक चला ।
अनशनकारियों के बीच मशाल सांस्कृतिक मंच से युद्धेष बेमिशाल ने अपने गीतों-गजलों के माध्यम से माहौल को खुशनुमा और जोशीला बनाये रखा । कुछ मुख्या गीत इस तरह है सरफ़रोशी की तम्मना अब हमारे दिल में है,देखना है जोर कितना बाजु-ए -कातिल में है ,दरिया की कशम मौजो की कशम ये तन-बना बदलेगा ,ले मशाले चल पड़े है लोग मेरे गाँव के ,मशाले लेकर चलना कि जब तक रात बाकि है आदि । और संदीप लॉ फैकल्टी से ने अपने जोगीरा से माहौल बनाये रखा ।
No comments:
Post a Comment