कैम्पस में शांति बहाल करो ! प्रशासन कि राजनीति का पर्दाफास करो !
साथियो,
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक मालवीय को एक तरफ भारत रत्न दिया जा रहा है तो वहीँ दूसरी तरफ विश्वविद्यालय के छात्रों पर पीएसी द्वारा लाठिया चलवाई जा रही है | उन्हें हास्टल से बाहर कर दिया जा रहा है जबकि छात्रों की परीक्षाएं आ गयी है | इस तरह की घटनाएं बीएचयू के इतिहास में एकदम नई है |और यह एकदम शर्मसार कर देने वाली घटना है | दो -तीन वर्षों से जब से छात्रसंघ की मांग तेज हुयी तभी से बिरला बनाम ब्रोचा ,आर्ट्स बनाम साईंस या बीएचयू बनाम आईआईटी जैसे बांटों और राज करो के मामले को तूल दिया जा रहा है |
यह पूरी तरह से प्रशासन प्रायोजित और लम्पट-गुंडों को सह देकर किया जा रहा है | इसमें आरएसएस के लोग भी शामिल है जिनकी गतिविधियों में इन सब घटनाओ से कोई प्रभाव नहीं पड़ता बल्कि डेमोक्रेटिक माहौल होने से प्रभाव पड़ता है | अन्य इस तरह की पिछली घटनाओ में हम देख सकते है कि कोई छोटी आपसी झगड़े कि घटना होती है तो प्रशासन उसको तत्काल रोकने कि वजाय मूक दर्शक बना रहता है | आखिर क्या कारण है कि इनके सामने ही लम्पटो द्वारा गली-गलौज और मारपीट कि जाती है पर ये कुछ नहीं करते ? जब सारा मामला शांत हो जाता है तब कैंपस में पीएसी बुलाई जाती है छात्रों कि बुरी तरह पिटाई कि जाती है और सारा का सारा हास्टल खली करा दिया जाता है | कैम्पस को पूरी तरह से पुलिस के हवाले कर दिया जाता है | पुरे कैम्पस में खुलेआम गस्त करते है और दहशत का माहौल बनाते है |
जब विश्वविद्यालय प्रशासन फेल है तो क्या फर्क पड़ता है कि कैम्पस को पुलिस राज चलाये | आखिर वे कौन लोग सक्रिय है जो इन सब छोटी-मोटी घटनाओं को बढ़ा रहें है ? इस तथाकथित अराजकता का तर्क देकर प्रशासन द्वारा कैम्पस में तानाशाही स्थापित करता जा रहा है | केंद्रीय विश्वविद्यालय के परिसर का माहौल लोकतंत्र व ज्ञान के केंद्र के रूप में होना चाहिए पर यहाँ शाम होते ही गांव कि तरह अँधेरी रात में तब्दील हो जा रहा है | ९-१० बजे तक सेन्ट्रल व साइबर लायब्रेरी,सभी गेटो को बंद कर दिया जा रहा है |
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक मालवीय को एक तरफ भारत रत्न दिया जा रहा है तो वहीँ दूसरी तरफ विश्वविद्यालय के छात्रों पर पीएसी द्वारा लाठिया चलवाई जा रही है | उन्हें हास्टल से बाहर कर दिया जा रहा है जबकि छात्रों की परीक्षाएं आ गयी है | इस तरह की घटनाएं बीएचयू के इतिहास में एकदम नई है |और यह एकदम शर्मसार कर देने वाली घटना है | दो -तीन वर्षों से जब से छात्रसंघ की मांग तेज हुयी तभी से बिरला बनाम ब्रोचा ,आर्ट्स बनाम साईंस या बीएचयू बनाम आईआईटी जैसे बांटों और राज करो के मामले को तूल दिया जा रहा है |
यह पूरी तरह से प्रशासन प्रायोजित और लम्पट-गुंडों को सह देकर किया जा रहा है | इसमें आरएसएस के लोग भी शामिल है जिनकी गतिविधियों में इन सब घटनाओ से कोई प्रभाव नहीं पड़ता बल्कि डेमोक्रेटिक माहौल होने से प्रभाव पड़ता है | अन्य इस तरह की पिछली घटनाओ में हम देख सकते है कि कोई छोटी आपसी झगड़े कि घटना होती है तो प्रशासन उसको तत्काल रोकने कि वजाय मूक दर्शक बना रहता है | आखिर क्या कारण है कि इनके सामने ही लम्पटो द्वारा गली-गलौज और मारपीट कि जाती है पर ये कुछ नहीं करते ? जब सारा मामला शांत हो जाता है तब कैंपस में पीएसी बुलाई जाती है छात्रों कि बुरी तरह पिटाई कि जाती है और सारा का सारा हास्टल खली करा दिया जाता है | कैम्पस को पूरी तरह से पुलिस के हवाले कर दिया जाता है | पुरे कैम्पस में खुलेआम गस्त करते है और दहशत का माहौल बनाते है |
जब विश्वविद्यालय प्रशासन फेल है तो क्या फर्क पड़ता है कि कैम्पस को पुलिस राज चलाये | आखिर वे कौन लोग सक्रिय है जो इन सब छोटी-मोटी घटनाओं को बढ़ा रहें है ? इस तथाकथित अराजकता का तर्क देकर प्रशासन द्वारा कैम्पस में तानाशाही स्थापित करता जा रहा है | केंद्रीय विश्वविद्यालय के परिसर का माहौल लोकतंत्र व ज्ञान के केंद्र के रूप में होना चाहिए पर यहाँ शाम होते ही गांव कि तरह अँधेरी रात में तब्दील हो जा रहा है | ९-१० बजे तक सेन्ट्रल व साइबर लायब्रेरी,सभी गेटो को बंद कर दिया जा रहा है |
इस घटना के मद्देनज़र भगत सिंह छात्र मोर्चा यह मांग करता है कि
- प्रशासन कि विफलता को ध्यान में रखते हुए वीसी व प्रॉक्टर को बर्खास्त किया जाये |
- कैम्पस से पीएसी को तत्काल बाहर किया जाये और कैम्पस में प्रवेश वर्जित किया जाये |
- सभी छात्रों को तत्काल हॉस्टल सुविधा बहाल किया जाये |
- कैम्पस में लोकतंत्र बहाल किया जाये |
इस घटना को लेकर बीसीएम ने एक प्रेस वार्ता आयोजित किया और प्रेस विज्ञप्ति जारी किया |
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