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Tuesday, June 2, 2020

कविता ; तुम हमारे कवि हो!




वरवर राव
तुम हमारे कवि हो
जनता के कवि हो
और हमें तुमको बचाना है।

क्योंकि तुमको बचाना
सभ्यता को बचाना है
तुमको बचाना
संस्कृति को बचाना है
तुमको बचाना
इंसानियत को बचाना है
तुमको बचाना
दुनिया को बचाना है।

 सवाल उठता है कि
साहित्यिक अकादमियों के कवि
क्यों नहीं लिखते हैं
तुम्हें बचाने के लिए,

क्यों नहीं आवाज़ उठाते हैं
तुम्हारी रिहाई के लिए,

क्यों नहीं सड़क पर आते हैं
तुम्हारी आज़ादी के लिए

क्योंकि इनमें और तुममें
ज़मीन-आसमान का फर्क है

तुम लिखते हो
दुनिया को सुंदर बनाने के लिए,
वो लिखते हैं
अपनी दुनिया को सुंदर बनाने के लिए

तुम लिखते हो
शोषण के खिलाफ संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए,
वो लिखते हैं
खुद की पहचान बनाने के लिए

तुम लिखते हो,
क्योंकि तुम्हारा लिखना संघर्षो को लिखना है,
वो लिखते हैं,
क्योंकि उनका लिखना
पुरस्कार पाने के लिए है,

वरवर राव,
तुम्हारी रिहाई के लिए
हम लिखेंगे
जो जानते हैं तुम्हारे लिखने के महत्व को

हम लिखेंगे कि
तुम आज शरीर से इतने बुजुर्ग हो गये हो
फिर भी सत्ता तुमसे काँपती है
वो डरती है तुम्हारी कलम से
वो डरती है तुम्हारी मुस्कान से
वो डरती है तुम्हारी मेधा से

लेकिन एक तुम हो
जो नहीं डरते हो
इन जेलों से
फ़र्ज़ी मुकदमों से
यातनाओं से।

क्योंकि तुमने जान लिया है
दुनिया के सबसे सुंदर लक्ष्य को
जिसका नाम है
 इंक़लाब !

हाँ वही इंक़लाब,
जहां बिना जेलों की सरकार चलाई जाएगी
जहाँ न जुर्म होगा
न होगा
मनुष्य के द्वारा मनुष्य का शोषण।


इसलिए हमें तुमको बचाना है
जनता के कवि को बचाना है
जनता को तुम्हारी जरूरत है।

:- अनुपम
2 जून 2020

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