"उबुन्टु"
'उबुन्टु' अफ्रीका की एक बेहतरीन कहानी है...
वास्तव में यह अफ्रीका की एक विशिष्ट संस्कृति यानी 'उबुन्टु संस्कृति' से हमारा परिचय कराती है।
एक मानव विज्ञानी ने अफ्रीका के आदिवासी बच्चों से एक खेल खेलने को कहा...
उसने मिठाइयों की एक टोकरी एक पेड़ के पास रख दी
और बच्चों से कहा कि कि वे पेड़ से सौ मीटर दूर खड़े हो जायें।
फिर उस मानव विज्ञानी ने घोषणा की कि जो भी भाग कर सबसे पहले पेड़ के पास पहुंचेगा, मिठाइयों की टोकरी उसकी होगी।
इसके बाद बच्चों को आवाज़ देते हुए उसने कहा, "तैयार...! अब जल्दी से भागो!"...
क्या आप जानते हैं बच्चों ने क्या किया?
उन बच्चों ने एक-दूसरे का हाथ थामा और साथ-साथ पेड़ की तरफ़ दौड़ पड़े। उन्होंने मिठाइयों को आपस में बराबर-बराबर बांट लिया, और ख़ूब आनन्द ले-लेकर खाने लगे।
जब मानव विज्ञानी ने उनसे ऐसा करने का कारण जानना चाहा,
तो उन बच्चों ने कहा– "उबुन्टु।"
जिसका मतलब था–
"हममें से कोई एक भी कैसे खुशी मना सकता है, जब तक कि बाकी बचे लोग दुखी हों?"
उनकी बोली में 'उबुन्टु' का अर्थ है–
"मैं हूं, इसलिये कि हम हैं!"
यह तमाम पीढ़ियों के लिये एक मज़बूत सन्देश हो सकता है।
काश हम में से हर एक का रवैया ऐसा ही होता और हम जहां भी जाते वहां खुशियां बांट सकते!
काश हमारा जीवन भी एक "उबुन्टु" जीवन होता...
काश हम कह सकते...
मैं हूं... इसलिये कि हम हैं!
(अंग्रेज़ी से अनुवाद- राजेश चन्द्र, रीपोस्ट)
यह 'उबुन्टु संस्कृति' उनके लिए प्रमाण और सिख भी है।जो कहते हैं दुनिया में कभी बराबरी नहीं आ सकती और न ही अमीर गरीब खत्म हो सकते हैं। लेक़िन यह संस्कृति हमे यह बताती है कि आदिम युग की दुनिया बराबरी और इंसानियत से भरे हुए मूल्यों की एक मिशाल थी। हम सब को इस संस्कृति से प्रेरणा लेते हुए ऐसे समाज को स्थापित करने के लिए संघर्ष में लग जाना चाहिए। जहां एक मनुष्यों के द्वारा दूसरे मनुष्यों का शोषण असंभव हो जाय।
https://youtu.be/GjVwsgL2i98
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