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Wednesday, March 19, 2014

जवानी के दिन

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ये हमारी जवानी के दिन है
और हम खुश है
तमाम हताशा और निराशा के बावजुद
कि हमारे सपने मरे नही है
हमने तो अभी प्यार करना शुरु ही किया है
हमने अपने जवानी के दिनो को
किसी जादूगर की तरह
जादू दिखाने मे नही लगाया है
और न ही किसी जुआरी की तरह
जुये पर दाव खेला है
हमने तो अपने जवानी के दिनो को
गेहू के दाने की तरह खेत मे बो दिया है
सूरज की तरह आसमान मे टाग दिया है
हमे अपनी जवानी के दिनो कि कीमत पता है
इसलिए हमने खुद को नही बेचा है
हमारे खून कि एक बूद की तरह
हमारा एक-एक पल किमती है
और इसे हमने उन्हे अर्पित किया है
जिनके मेहनत से दुनिया चलती है
हमारे पास जवानी का होना ही काफी है
जुल्म से टकराने के लिए
हमारा एक बूद खून का बहना ही काफी है
इतिहास की धारा मोड देने के लिए
जवानी के दिनो के अलावा
भला और क्या चाहिए लडने के लिए
आखिर इतिहास हम से सवाल करेगा
बच्चो और बुढो से नही
कि हम क्या कर रहे थे
जब जनता पर जुल्म और शोषण हो रहे थे.? 
                                            
                                         -विनोद शंकर

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