Consent (कंसेंट) एक गूढ़ शब्द है।
खासतौर पर स्त्री-पुरुष के संबंधों में इसके कई मायने हो जाते हैं। हाल में फेसबुक पर कुछ वीडियो मिले जिसमें लड़कियों को शुगर बेबी (sugar baby) नाम के प्रोफेशन को 'consent' के साथ बहुत हँसी-खुशी अपनाते हुए दिखाया गया। जहाँ तक मेरी जानकारी है आपमें से 95 प्रतिशत से भी अधिक लोग शुगर बेबी नाम के प्रोफेशन से बिल्कुल भी परिचित नहीं होंगे।
अमेरिका, ब्रिटेन जैसे विकसित पूंजीवादी देशों में यह प्रोफेशन यूनिवर्सिटी की लड़कियों के बीच खूब प्रचलित है। खासतौर पर उन लड़कियों के बीच में जिनकी आर्थिक स्थिति खराब है और यूनिवर्सिटी का ख़र्चा उठाने के लिए उनके पास पैसे नहीं है। होता है कि dating वेबसाइट्स के जरिये अमीर पुरूष उन लड़कियों को अपनी paid प्रेमिका बनाते है, उनके साथ घूमते फिरते है, शारीरिक संबंध बनाते हैं और इनसब के बदले में उन्हें महीने की सैलरी देते हैं। इन डेटिंग वेबसाइट में लाखों की संख्या में अमीर पुरुष और लड़कियों की प्रोफाइल है जिससे इस प्रोफेशन के पॉपुलैरिटी समझी जा सकती है। अमीर पुरुष लड़कियों को आकर्षित करने के लिए अपनी सालाना कमाई भी इन वेबसाइट्स पर लिखते हैं। इंटरनेट पर इससे जुड़े कई वीडियो मौजूद हैं। उधर लड़कियां खुश हैं कि उन्हें अपनी पढ़ाई नहीं छोड़नी पड़ रही, साथ ही एक अच्छा लिविंग स्टैण्डर्ड, विदेशों में भी घूमने को मिल जाता है।
एक पुरुष अपनी कमाई के अनुसार के दसियों शुगर बेबी रख सकता है। इन पुरूषों को शुगर डैडी कहा जाता है। कहने को तो ये रिश्ता दो एडल्ट्स के बीच पूरी तरह से कंसेंट पर आधारित है। लेकिन यहां उनकी कंसेंट क्या वास्तव में उनकी कंसेंट है? हमारे लिए इसकी पृष्ठभूमि समझना ज्यादा जरूरी है। इन देशों में अगर शिक्षा निशुल्क होती तो क्या लड़कियों को अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए एक झूठे चकाचौंध भरे इस प्रोफेशन को चुनना पड़ता?
पूंजीवाद हर रिश्ते की आत्मीयता को खत्म करके पैसे पर आधारित रिश्ता बना देता है। क्या इस तरह के रिश्तों का आधार भी सिर्फ पैसा नहीं है?
जिस पुरुष के पास जितने पैसे वह उतनी लड़कियों को अपनी प्रेमिका बना सकता है। क्या यह महिलाओं का वस्तुकरण नहीं है? क्या कंसेंट के नाम पर इस रिश्ते को सही ठहराया जा सकता है?
-Aakanksha
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